Book Title: Veer Ekadash Gandhar Puja
Author(s): Vijayvallabhsuri
Publisher: Granth Bhandar

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Page 29
________________ (३१) काव्य। सुरनरेश्वर पूजित पदकजं, __ श्रुतिपदेन समुद्भव संशयम् । जिनपवीरगिरागतकल्मषं, गणधरं श्रुतरत्नधरं स्तुवे ॥१॥ मंत्र। ॐ, ही, श्री, परमपुरुषाय' परमेश्वराय, जन्मजरामृत्युनिवारणाय सर्वलब्धि निधानाय श्रीमते व्यक्तस्वामिगणधराय, जलादिकं यजामहे स्वाहा । ॥अथ पंचम श्रीसुधर्मा स्वामि गणधरपूजा ॥ दोहा. पंचम गणधर वंदिये, नाम सुधर्मा तास । वीर पटोधर थापिया, दीक्षा समये जास ॥१॥ धम्मिल सुत कोल्लाकमें, मात महिला धार । गोत्र अग्नि वैशायने, द्वादश रिख अवतार ॥२॥ पंचाशत घरवासमें, दो चीली बत सार। वर्ष वसु रहे केवली, आवागमन निवार ॥ ३ ॥ जो जैसा इस जन्म में, परभव वैसा होय । शालिसे नहीं नीपजे, यव अंकुर जग जोय ॥४॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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