Book Title: Veer Ekadash Gandhar Puja
Author(s): Vijayvallabhsuri
Publisher: Granth Bhandar
View full book text
________________
शुद्ध जीव पुण्य पापका रे, बंधक नहीं यह तत्व ! बंधक कत्ता कर्मकारे, संसारी सब सत्व ॥ सुनी० ॥३॥
कर्मसंबंध मिथ्यात्वादिकसे,
बंध कहावे सोय । तस परमावे नरकादिकमें, __ अनुमव दुःखका होय ॥ सुनी० ॥४॥ दर्शन ज्ञान चारित्रसे रे,
कर्म वियोग कहाय । मोक्ष अनंता सुख लहरे,
अव्याबाध सदाय ॥ सुनी०५॥ सिद्ध योग जीव कर्मका रे,
ज्ञानादि परताप । दूर होवे जिम अग्निसे रे, __ स्वर्ण पाषाण मिलाप ॥ सुनी० ॥६॥ वचन सुनी प्रभु वीरकरे,
हुए मंडित अनगार । आतमलक्ष्मी ज्ञान विमलगुण, वल्लम हर्ष अपार ॥ सुनी० ॥७॥
कान्य। सुरनरेश्वर पूजित पद्कजं,
श्रुतिपदेन समुद्भव संशयम् ।
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com

Page Navigation
1 ... 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42