Book Title: Vastusara Ratnapal Charitre
Author(s): Agamoddharak Granthmala
Publisher: Agamoddharak Granthmala

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Page 4
________________ सं. 2011 में यहां पूज्य श्रीत्रैलोक्यसागरजी म. व श्रीरुपसागरजी म० का चातुर्मास था, तब उपधानतप संबन्धि बात निकलने पर आपने आधा खर्च देना स्विकार किया था, और आधा खर्च श्रीसंघने देना स्विकार किया, और उपधानतेप बडे आनन्द से पूर्ण हुवा, जिसमें 13 भाईयों व 48 बहिनोने लाभ लियाया था। सं. 2012 में यहां पार्श्वचंद्र गच्छीय मुनि विकासचंद्रजी चातुर्मास रहे थे, और चातुर्मास बाद फाल्गुन शु. 1 को महाराज यहां से तीन मील दूरीपर गोठड़ा नामक ग्रामके निकट एक गुफामे ध्यान लगाने जा रहे थे, सो आप अपने लघुभ्राता एवं और मी दो चार जने साथ वहां गये हुवे थे, वहां पहुचने पर आप हाजत रफा करने को गये, और हाथ शुद्धि के लिये एक बाव में उतरे वहां चक्कर आनेसे अन्दर गिर पड़े और इस असार संसार को छोड़कर स्वर्गको सिधाये। * आपके पीछे दो पुत्रीयें व एक लघुपुत्र 11 वर्षयि छोड़ गये है। शासनदेव से प्रार्थना है कि संघमे इनकी जो कमी पडी है उसे व उनके किये हुवे अभिप्रहोंको पूर्ण करने की शक्ति आपके लघुभ्राता व 'आपके पुत्रको प्रदान करें। आपकी आत्माको शान्ति प्रदान हो ऐसी भी शासनदेवसे विनन्ति है। MAN श्रोचतुर्विध संघ सेवक . . . वृद्धिचंद भीमचंदजी सेमलावत : आसपुर Scanned with CamSca

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