Book Title: Vastusara Ratnapal Charitre Author(s): Agamoddharak Granthmala Publisher: Agamoddharak Granthmala View full book textPage 5
________________ श्रीयुत् प्रेमचन्दजी का संक्षिप्त जीवन चरित्र Cota आपका जन्म डूंगरपुर (राजस्थान) जिलेके अंदर आसपुर नामक ग्राममें वीशा-पोरवाल ज्ञातीय श्रीउदयचन्दजी सिमलावत की सुपत्नी कुरीबाई की कुक्षीसे सं. 1964 मार्गशिर्ष कृष्णा 8 को हुवा था। आप बचपन से ही सुसंस्कारी थे। श्रीउदयचन्दजी के लघुभ्राता श्रीपुनमचन्दजी के कोई संतान नहीं होने से आपको पुत्र तरिके स्वीकार किये थे। आपके लघुभ्राता मोतीचन्द नामक है, व एक बहीन भी थी। आप व्यापार कार्य में अधिक कुशल थे। आप न्यायसंपन्न वैभवको ही चाहनेवाले थे। आपने अपने जीवनमे किसीके साथ दगा फरेब नहीं किया, कालेबाजारका इतना जोरशोर था, फिर मी आप उसे जहरीला काला साप समजकर बाल बाल बचे थे। आपकी धार्मिक भावना अत्यन्त सराहनीय थी, जब कभी कोईभी धार्मिक कार्य उपस्थित होता तो आप अग्रेसर होकर | उस कार्यको तन, मन और धन की. सहायता देकर पार लगा देते थे। सं. 2007 में आप सहकुटुम्ब शत्रुजय व गिरनारजी की यात्रा को गये थे, तब गिरनारजी के जीर्णोद्धार के कार्यको देखकर आपने अभिग्रह किया कि जब तक मैं यहां के जीर्णोद्धार में रु. 10000) न दे सकुं तब तक हर पूर्णिमाको || घृत नहीं खाऊंगा। वैसे ही स्थानीय संघ के एक कार्य बाबत आपने अभिग्रह किया था कि जब तक वह कार्य न हो जायगा तब बक लग्न-प्रसंग के जीमन में मीठा पकवान नहीं खाउगा / 20pepepepemora // 3 // Scanned with CamScaPage Navigation
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