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७२. नारकियों का उछलना
७३. उष्णताजनित दुःख
७४. शीतजन्य दुःख
७५. शीत-उष्णता भी व्यसनों का फल
७६. शस्त्रों से प्राप्त दुःख
७७. जुआ खेलने का फल
७८. शिलाओं से प्राप्त दुःख
७९. शरीर के तिल बराबर टुकड़े होने पर भी मरण नहीं
८०. मद्य एवं मधु सेवन का फल
८१. पत्तों से प्राप्त दु:ख
८२. मांससेवक व्यसन का फल
८३. वैतरणी नदी के दुःख
(iv)
८४. परस्त्री एवं वेश्यागमन का फल
८५. इन्द्रियों से पापबन्ध
८६. शिकार खेलने का फल
८७. असुर कुमार देव नारकियों को भिड़ाते हैं
८८. नरकों एवं बिलों की संख्या
८९. सात पृथ्वियों के नाम
९०. नारकियों की आयु
९१. व्यसन सेवन से नरकगति
तिर्यञ्च गति दुःख वर्णन
९२. तिर्यञ्च स्थावरों के दुःख
९३. त्रस पर्याय की दुर्लभता
९४. पञ्चेन्द्रिय पर्याय की दुर्लभता
९५. तिर्यञ्च के दुःखों का वर्णन
९६. व्यसनों से तिर्यञ्चगति
१३७
१३८
१३९
१४०
१४१-१४२
१४३-१५०
१५१-१५२
१५३
१५४-५५
१५.६-५७
१५८-६०
१६१-६२ .
१६३-६४
१६५
१६६-६९
१७०
१७१
१७२
१७३-१७५
१७६
१७७
१७८
१७९
१८०-८१
१८२
१४७
१४८
१४९
१४९
१५०
१५१.
१५३
१५४
: १५५०
.१५६.
१५६-५७
१५७
१५८
१५९
१५९
१६१
१६१
१६३
१६५
१६९
१६९
१७०
१७०
१७१
१७२