Book Title: Vaishali Institute Research Bulletin 7
Author(s): Nand Kishor Prasad
Publisher: Research Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur

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Page 9
________________ 111 128 140 146 153 168 175 खण्ड (घ) : साहित्य-इतिहास-संस्कृति 13. Hinduism in Trininad -Prof. J. C. Jha. 14. हरिभद्रसूरिकृत अष्टक-प्रकरण : एक मूल्यांकन -डा० प्रेम सुमन जैन 15. राजप्रश्नीय एवं पायासिराज सुत्त : तुलनात्मक समीक्षा -डा० कोमल चन्द्र जैन 16. बौद्ध वाङ्मय में अम्बपाली -डा० सुरेन्द्रनाथ दीक्षित 17. मध्यकालीन जैन साहित्य का ऐतिहासिक मूल्यांकन -प्रो० डा. राजाराम जैन 18. जैन वाङ्मय में नारी-शिक्षा -डा० निशानन्द शर्मा 19. नियमसार : कतिपय विशेष सन्दर्भ -डा० ऋषभचन्द्र फौजदार 20. श्रमण-संस्कृति के पुण्यप्रतीक : इन्द्रभूतिगौतम --डा० (श्रीमती) विद्यावती जैन 21. तीर्थकर ऋषभनाथ का जय-जूटयुक्त प्रतिमाङ्कन -डा. महेन्द्र कुमार जैन 'मनुज' 22. प्राकृत के प्रतिनिधि महाकाव्यों की भाषा -शैलेन्द्र कुमार राय Historical Role of Jainism -P. Kishore Kumar 24. जैन वाङ्मय में मनध्याय -प्रो० हृषिकेश तिवारी 25. जैन एवं बोद्ध शिक्षा के उदेश्य तथा विषय -विजय कुमार 26. कलिकाल-सर्वज्ञ कुन्दकुन्द : शिलालेखों के परिप्रेक्ष्य में --डा० फूलचन्द जैन प्रेमी 27. The Impact of Shramanism on Indian Social Life -Dr. Nand Kishore Prasad 178 184 189 200 219 223 232 242 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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