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पोताना विवादना कार्यने प्रकार्य मानतां एटले या खोदुं प्रयुं ! एम जाणतां एवां पोतानो संदेह निवारवाने माटे पोतपोतानी माताने सम खवरावीने प्रति शे आग्रह करीने पोतपोतानुं स्वरूप पूग्युं. ते अवसरे तेमनी मातानए ते बे ज रानी आगल मंजूषामांची (पेटीमांथी) कहाड्यां त्यांथी मांगीने सर्व पण वूतांत कां. त्यार पी कुबेरदत्त माता पिताने कहेवा लाग्यो के, तमे श्रमने जो रुले जन्मेलां जालीने पण श्रावुं अकार्य केम कर्तुं ? त्यारे ते कदेवा लाग्यां के, तद्वारा सरखी कन्या अने तेना सरखो वर क्यांहि श्रमने मख्यो नहीं. तेथी स रखां शोनादि गुणवालां तमने जालीने तमारा बेनोज मांहोमांदे विवाद कर्यो. परंतु दजु सूघी कांइपण बगमयुं नथी. जे कारण माठे तमारा बेनुं एक करपी मनज युं बे. एटले फक्त एक हाथनोज मिलाप थयो बे. पण मैथुन कर्म यु न. ते माटे तुं खेद न करीश. तने बीजी कन्या परगावी शुं. त्यार पछी कुबेरदते कयुं. तमारुं वचन महारे प्रमाण वे. परंतु हमणां तो हुं व्यापार करवाने | माढ़े परदेश जवानी बा राखुं खुं. ए कारण माटे मनेाज्ञा आपो. त्यार पी
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