Book Title: Vairagyashatakama
Author(s): Ramchandra D Shastri
Publisher: Ramchandra D Shastri

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Page 267
________________ नपरा नपरी आ अमुल्य ग्रंथनी मागणी अवाथी आवृत्ति त्रीजी प्रसिह करवामां आवी ने. फक्त १००० हजार नकलः - सूचना श्रा ग्रंथमां प्रसिह करताना सीका शिवायनी को पण कॉपी (नकल) || वेचाती कोइ पण काणे जणाशे तेना नपर घटता इलाजो लेवामां आवशे. पुस्तक मळवानां ठेकाणा अमदावाद-कर्ता पासेश्री. " -राजनगर प्रीटींग प्रेस तथा जाणीता तमाम बुकसेलरो पासथी. मुंबाश-मांगरोल जैनसता.. पायधूणी पासे गोमीजीना मंदीर नजीक. " -बंदरमां. जीमशी माणेकनी दुकानेनी मला *XXXXXXXXXXXXXXXX**** - - १३४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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