Book Title: Vairagya Shataka
Author(s): Purvacharya, Gunvinay
Publisher: Jindattsuri Gyanbhandar

View full book text
Previous | Next

Page 9
________________ ॥७॥ घेराग्य- hall पछी दीक्षा लेज्यो.” त्यार पछी कुमार कहेतो हवो. "हे अंध! हे तात ! तमे जे द्रव्यादिकनुं स्वरूप कह्यु | भाषांतर शतकम् र तेनुं एवी रीते जाणवू के, ते द्रव्य, खलु कहेतां निश्चे अग्नि, जल, चोर राजा, दायाद कहेतां गोत्रीलोकोए | सहित आदिक घणा लोकोने साधारण छे, एटले घणा लोकोने वश्य छे, पण द्रव्य काइ एक जणनी पासे रहेतुं । | नथी, अने अध्रुव कहेता अशाश्वतुं छै. एटले ते द्रव्य काइ निरंतर रहेतुं नथी, अने प्रथम अथवा पछी जरूर त्यागवा योग्य थशे, एटले मूकबुंज पडशे. तथा मनुष्य संबंधि कामभोग पण अशुचि एटले अपवित्र एवा, अने | अशाश्वत एवा, अने वात, पित्त, कफ, शुक्र, कहेतां वीर्य अने शोणित कहेतां रुधिर एटलाओनो छे आश्रय ते | | जेमने एवा, एटले वात, पित्त, कफ, शुक्र, शोणितमय एवा अने अमनोज्ञ कहेतां असुंदर एवा, अने विरूप कहेतां 15 A माठा भूत्र अने पुरीष कहेतां विष्टा तेणे करीने भरेला एवा, अने दुर्गध एवा छे उच्छवास अने निश्वास ते जेमना, JE | एटले उंचोश्वास अने निचोश्वास जेमनी दुर्गध छे एवा, अने मुख लोकोए अतिशे करीने सेवेला एवा, अने निरंतर | साधुजनने निंदवा जोग्य एवा, अने उत्कृष्ट भागे अनंत संसारना वधारनार एवा, अने कडवां फल रूप छे विपाक Ka ते जेमनो, एटले अंते दुर्गतिना फलने आपनार एवा कामभोग छे. इहां कामभोग कहेवे करीने तेना आधारभूत र. एटले तेमने रहेवान स्थानक एवां स्त्री पुरुषनां शरीर जाणवां. ते शरीर पूर्वे कहेला विशेषणोए करीने सहित छे, एज कारण माटे तेमने अर्थ एटले ते कामभोगोने अर्थे कोण पुरुष पोताना जीवितने निष्फल करे ? एटले जे डाह्यो f पुरुष होय ते नज करे." आ रीते कुमारे उत्तर आप्यो. त्यारपछी ते कुमारनां माता पिता, ए प्रकारे विषयने । DAULOUDLADOORDLAGUJA Jain Education Internat 1 10_05 For Private & Personal use only Jww.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 176