Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Path
Author(s): Jivraj Ghelabhai Doshi
Publisher: Jivraj Ghelabhai Doshi
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सम्मत्तपरकमे.
१२५
३ धम्मसद्धाए णं भन्ते जीवे किं जणयइ ? धम्मसद्धाए णं सायासोक्खेसु रजमाणे विरऊ, आगारधम्मं च णं चयइ, अणगारिए णं जीवे सा. रीरमाणसाणं दुक्खाणं छेयणनेयणसंजोगाईणं वो. बेयं करेइ अवाबाहं च सुहं निवत्तेइ. ॥ ३ ॥
४ गुरुसाहम्मियसुस्सूसणाए णं नन्ते जीवे किं जणयइ ? गुरुसाहम्मियसुस्सूसणाए णं विणयपमिवत्तिं जणयइ. विषयपमिवन्ने य णं जीवे 'अणुच्चासायणसीले नेरइयतिरिक्खजोणियमणुस्सदेवदुग्गईयो निरुम्नइ, वमसंजलणनत्तिबहुमाणयाए मणुस्तदे. वगईओ निबन्ध सिद्धिं सोग्गइं च विसोहेइ, पसस्था च णं विण्यमूलाई सबकजाइं साहेइ, अन्ने य बहवे जीवे विणिइत्ता नव॥४॥ __५ बालोयणाए णं जन्ते जीवे किं जणयइ ? आलोयणाए णं मायानियाणमिहादरिसणसवाणं मोक्खमग्गविग्घाणं अणन्तसंसारबन्धणाणं उद्धरणं करेइ, उन्नावं च जणयइ. उअनावपमिवन्ने य णं जीवे अमाई इत्थीवेयनपुंसगवेयं च न बन्धइ, पुत्वबद्धं च णं निजरेइ ॥५॥
६ निन्दणयाए णं नन्ते जीवे किं जणय? नि. न्दणयाए णं पहाणुतावं जणयइ, पहाणुतावणं विरऊ. माणे करणगुणसेढिं पविजाइ.करणगुणसेढीपडिवन्ने यणं अणगारे मोहणिऊं कम्मं उग्घाएइ ॥ ६॥ १ch. (चा.) अण°२A (आमा) सुगईओ. ३Ch. (चा.) 'दसण.

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