Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Path
Author(s): Jivraj Ghelabhai Doshi
Publisher: Jivraj Ghelabhai Doshi

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Page 205
________________ १९८ उत्तरायणं. ३६. माई अवसवाई किल्विसियं भावणं कुणइ ॥ २६४ ॥ बद्धरोसपसरो तह य निमित्तंमि होइ पकिलेवी । एएहि कारणेहिं चासुरियं जावणं कुणइ ॥ २६५ ॥ सत्यगणं विसभक्खणं च जलणं च जलपवेसो य । णायारज एक सेवी जम्मण मरणाणि बन्धन्ति ॥ २६६ ॥ इय पाटकरे बुद्धे नायए परिनिव्वुए । छत्तीसं उत्तरज्जाए भवसिद्धीयसम्मए १ ॥ जीवा जीवविजत्ती ॥ Ch. (चा.) संकुडे, ॥ २६७ ॥ ॥ त्ति बेमि ॥

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