Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Path
Author(s): Jivraj Ghelabhai Doshi
Publisher: Jivraj Ghelabhai Doshi
View full book text
________________
जीवाजीवबिभत्ती..
मुञ्चओ
॥८४॥
॥ ८५ ॥
बावीससहस्साई वासाणुक्कोसिया जवे । उठि पुढवीणं अन्तोमुडुतं जहन्नियां ॥८१॥ असंखकालमुक्कोसं अन्तोमुहुत्तं जहन्नगं । कायठिई पुढवीणं तं कार्यं तु अणन्तकालमुक्कोसं अन्तोमुत्तं जहन्नगं । विजढंमि सए कार पुढविजीवाण अन्तरं एएसिं वम चैव गन्धओ रसफास । संठास वात्रि विहाणाई सहस्सो दुविहा ऊजीवा उ सुहुमा बायरा तहा | पात्तमपद्मत्ता एवमेए दुदा पुणो बायरा जे उ पत्ता पञ्चद्दा ते पकित्तिया । सुद्धोदय उस्से हरतणू महिया हिमे ॥ ८६ ॥ एगविणाणत्ता सुहुमा तत्थ वियादिया । सुहुमा सबलोगम्मि लोगदेसे य बायरा सन्तई पप्प नाईया अपवासिया वि य । ठिइं पडुच्च साईया सपवसिया विय सत्तेव सहस्साइं वासाणुकोसिया जवे । आउठिई ऊणं अन्तोमुहुत्तं जहन्निया ॥ ८९ ॥ असंखकालमुक्को अन्तोमुहुतं 'जहन्नगं । कायविई आऊणं तं कार्यं तु श्रमुञ्चओ ॥ ९० ॥ अणन्तकालमुक्कोसं अन्तोमुहुत्तं जहन्नगं । विजढंमि सए काए आऊजीवाण अन्तरं ॥ ९१ ॥
॥ ८७ ॥
॥ ८८ ॥
१ Ch. ( चा. ) जहन्नयं, A. ( अ ) जहनिया.
૧૬
१८१
॥८२॥
॥८३॥

Page Navigation
1 ... 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206