Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Path
Author(s): Jivraj Ghelabhai Doshi
Publisher: Jivraj Ghelabhai Doshi

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Page 196
________________ . जीवाजीवविभची. १८९. विजढंमि सए काए नेस्इयाणं अन्तरं ॥ १६९ ॥ एएसिं वलयो चेव गन्धयो रसफासयो। संठाणदेसओ वावि विहाणाई सहस्ससो ॥ १७० ॥ पश्चिन्दियतिरिक्खायो दुविहा ते वियाहिया। समुचिमतिरिक्खाओ गब्भवक्कन्तिया तहा ॥१७॥ दुविहा ते नवे तिविहा जलयरा थलयरा तहा। खहयरा' य बोधवा तेसिं नेदे सुणेह मे ॥१७॥ महा य कहना य गाहा य मगरा तहा। सुंसुमारा य बोधवा पञ्चदा जलयराहिया ॥ १७३ ।। लोएगदेसे ते सवे न सवत्थ वियाहिया। एत्तो कालविभागं चउविहा ते वियाहिया ॥१४॥ संतई पप्प नाईया अपऊवसिया वि य । छिइं पडुच्च साईया सपावसिया वि य ॥ १७५॥ “एगायो पुवकोमीयो 'उक्कोसेण वियाहिया। आउठिई जलयराणं अन्तोमुहुत्तं जहन्निया ॥१६॥ पुत्वकोमिपुहत्तं तु उक्कोसेण वियाहिया । कायट्टिई जलयराणं अन्तोमुहुत्तं जहन्नगं ॥ १७ ॥ अणन्तकालमुक्कोसं अन्तोमुहत्तं जहन्नगं । विजढंमि सए काए जलयराणं अन्तरं ॥१७८ ॥ घउप्पया य परिसप्पा दुविहा थलयरा नवे । चनप्पया चविहा ते मे कित्तयओ सुण ॥ १७९॥ १b. (चा.) नहयरा. २ Ch. (चा.) भेए. ३ Ch. (चा.)तु वोच्छ तेसि चविहं (जुओ सूत्र १५९). ४ Cb. (चा.) एगा य पुचकोडी. ५A. (आ.)१७८ पछी नीचे मुजब १७०मो सत्र मुक्यो छे. ॥ एएसि वण्णओ चेव गन्धओ रस फासओ। संठाण देसओ वावि विहाणाई सहस्सओ॥

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