Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Path
Author(s): Jivraj Ghelabhai Doshi
Publisher: Jivraj Ghelabhai Doshi

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Page 195
________________ १८८ उत्तरायणं, ३६. नेरश्या सत्तविहा पुढवीसू सत्तसू भवे । रयणाभ सकराजा वालुयाना य आहिया ॥१५७॥ पकाना धूमाभा तमा तमतमा तहा।। २२ नेरइया एए सत्तहा परिकित्तिया ॥१५८ ॥ लोगस्स एगदेसम्म ते सवे उ वियादिया। एत्तो कालविभागं तु वोहं तेसिं चविहं ॥ १५९ ॥ संतई पप्प नाईया अपऊवसिया वि य । विइं पमुच्च साया सपजावसिया वि य ॥ १६० ॥ सागरोवममेगं तु उक्कोसेण वियादिया । पढमाए जहन्नेणं दसवाससहस्तिया ॥ १६१ ॥ तिमेव सागरा ऊ नकोसेण वियाहिया। दोच्चाए जहन्नेणं एगं तु सागरोवमं ॥१६२ ॥ सत्तेव सागरा ऊ उक्कोसेण वियाहिया । तश्याए जहन्नेणं तिन्नेव सागरोवमा ॥१६३ ॥ दससागरोवमाऊ उक्कोसेण वियादिया। चउत्थीए जहन्नेणं सत्तेव सागरोवमा ॥१६४ ॥ सत्तरससागराऊ उक्कोसेण वियाहिया । पञ्चमाए जहन्नेणं दस चेव सागरोवमा ॥ १६५ ॥ बावीससागराऊ उक्कोसेण वियाहिया। छट्ठीए जहन्नेणं सत्तरस सागरोवमा ॥१६६ ॥ तेत्तीससागराऊ उक्कोसेण वियाहिया ।। सत्तमाए जहन्नणं बावीसं सागरोवमा ॥१६७ ॥ जा चेव य आउठिई नेरइयाणं वियाहिया। सा तेसिं कायरिई जहन्नुक्कोसिया भवे ॥ १६८ ॥ श्रणन्तकालमुक्कोसं अन्तोमुहुत्तं जहन्नगं ।

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