Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Path
Author(s): Jivraj Ghelabhai Doshi
Publisher: Jivraj Ghelabhai Doshi

View full book text
Previous | Next

Page 198
________________ जीवाजीवविभत्ती. १९१ संतई पप्प नाईया अपज्जवसिया वि य । विज्ञ पडुच्च साईया सपज्जवसिया वि य ॥ १८९ ॥ पलिओवमस्स नागो असंखेज्जश्मो भवे । आउठिई खहयराणं अन्तोमुहुत्तं जहन्निया ॥१९०॥ असंखजाग पलियस्स उकासेण उ साहिया । पुत्वकोडीपुहुत्तेणं अन्तोमुहुत्तं जहन्निया ॥ १९१ ॥ दिई खहयराणं अन्तरे तेसिमे भवे । कालं अणन्तमुक्कोसं अन्तोमुहुत्तं जहन्नगं ॥ १९२ ॥ एएसिं वाओ चेव गन्धयो रसफासओ। संठाणदेसओ वावि विहाणाझं सहस्ससो ॥ १९३ ।। मणुया दुविहभेया उ ते मे कित्तयो सुण । संमुडिमा य मणुया गब्भवकन्तिया तहा ॥ १९४ ।। गब्भवकन्तिया जे उ तिविहा ते वियाहिया । कम्मअकम्मन्नूमा य अन्तरदीवया तहा ॥ १९५ ॥ पन्नरस तीसविहा जेया अट्ठवीसइं । संखा उ कमसो तेसिं इइ एसा वियाहिया ॥१९६॥ संमुहिमाण एसेव भेओ हो वियाहिओ। लोगस्स एगदेसम्मि ते सव्वे वि वियाहिया ॥१९७॥ संतई पप्प नाश्या अपवसिया वि य । ठिई पमुच्च साईया सपऊवसिया वि य ॥ १९८ ॥ पलियोवमाउ तिन्नि वि असंखेजाइमो' नवे । आनट्टिई मणुयाणं अन्तोमुहत्तं जहन्निया ॥१९९॥ पलियोवमाइं तिन्नि उ उकोसेण उसाहिया। पुवकोडिपुहुत्तेणं अन्तोमुहुत्तं जहन्निया ॥ २० ॥ १ A. ( आ.) काय'. २ A. (आ.) उक्कोंसेण वियाहिया.

Loading...

Page Navigation
1 ... 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206