Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Path
Author(s): Jivraj Ghelabhai Doshi
Publisher: Jivraj Ghelabhai Doshi
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उत्तरज्झयणं. ३६.
कायलिई मणुयाएं अन्तरं तेसिमं नवे । 'कालमणन्तमुक्को अन्तोमुहुत्तं जहन्नगं ॥ २०९ ॥ एएसिं वसा चैव गन्धओ रसफास । संठादेओ वा विहाणाई सहस्ससो ॥ २०२ ॥ देवा चउद्दिहा वृत्ता ते मे कित्तयओ सु । भोमिक वाणमन्तर जोइस वेमाणिया तहा ॥ २०३ ॥ दसहा उजवणवासी हा वणचारिणो । पञ्च विहा जोइसिया दुविहा वेमाणिया तहा ॥ २०४ ॥ असुरा नागसुवला वि अग्गी वियाहिया । दीवोदहि दिसा वाया यणिया भवणवासिणो ॥२०५॥ पिसाय भूय जक्खा य रक्खसा किन्नरा किंपुरिसा । महोरगा य गन्धव्वा अट्ठविहा वाणमन्तरा ॥ २०६ ॥ चन्दा सूरा य नक्खत्ता गहा तारागणा तहा । ठियाविचारिणो वेव पञ्चहा जोइसालया ॥ २०७ ॥ वेमाणिया उ जे देवा दुविहा ते वियाहिया । कप्पोवगा य बोधव्वा कप्पाईया तहेव य ॥ २०८ ॥ कृप्पोवगा बारसहा सोहम्मीसाएगा तहा । | सङ्कुमार माहिन्द बम्लोगा य लन्तगा ॥ २०९ ॥
मद्दासुक्का सहस्सारा आण्या पाण्या तहा । आरणा अच्चुया चेव इइ कप्पोवगा सुरा ॥ २९० ॥ कप्पाईया उ जे देवा दुविहा ते वियाहिया । गेविका गुत्तरा चेव गेविका नवविहा तहिं ॥ २९९॥ ट्टिमा हेट्टिमा चेव हेट्ठिमा मज्जिमा तहा । हेट्ठिमा उवरिमा चैव मज्जिमा हेट्ठिमा तहा ॥ २१२॥ १ Ch. (चा.) अणन्तकाल . २ Ch. (चा.) धणिया.

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