Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Path
Author(s): Jivraj Ghelabhai Doshi
Publisher: Jivraj Ghelabhai Doshi
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उत्तरज्झयणं. ६६. एगखुरा दुखुरा चेव गएकीपय सणप्पया। हयमा गोणमाइ गयमाश् सोहमाइणो ॥ १८० ॥ भुयोरग परिसप्पा य परिसप्पा दुविहा नवे । गोहाई अहिमाई य एकेका गहा नवे ॥ ११ ॥ लोएगदेसे ते सवे न सवत्थ वियाहिया। एत्तो कालविभागं चउविहा ते वियाहिया ॥१८२॥ संतई पप्प नाईया अपज्जवसिया वि य । विशंपडुच्च साया सपजावसिया वि य ॥ १८३॥ पलिओवमा तिन्नि उ उक्कोसेण वियाहिया।
आउठिई थलयराणं अन्तोमुहुत्तं जहन्निया ॥१८४॥ पुवकोमिपुहुत्तेणं अन्तोमुहुत्तं जहन्निया । कायठिई थलयराणं अन्तरं तेसिमं नवे ॥ १८५॥ कालमणन्तमुक्कोसं अन्तोमुहुत्तं जहन्नगं । विजढम्मि सए काए थलयराणं तु अन्तरं ॥ १६ ॥ चम्मे उ लोमपक्खीया तइया समुग्गपक्खिया । विययपक्खी य बोधवा परिखणोय चउबिहा ॥१७॥ लोगेगदेसे ते सवे न सम्वत्थ वियाहिया । इत्तो कालविभागं तु तेसिं वुद्धं चउविहं ॥ १८८ ॥
१ Ch. (चा.) सणहप्पया. २ A. (आ.) & Ch. (चा.) सीह. ३ Ch. (चा.) तु वोच्छ तेसिं चउविहं (१५९-१७४ जुओ). ४ A. (आ.) नवो सूत्र १८४ पछी १८४ नी पहेली लीटीने १८५ नी पण पहेली लींटीनो बनावी मुक्यो छे. ५ A. (आ.) १८५ मो सूत्र १८५ नी बीजी लीटीने १८६ नी पहेली लींटीनो बनाव्यो छे ६ A. (आ.) १८६ मो सूत्र १८६ नी बीजी लीटीने १७० ना आखा सूत्रनो बनावेल छे ने १८६ पछी १७० मो मुक्यो छे. ७ Ch. (चा.) पक्खी य. ८ Ch. (चा.) वोच्छं तेसि.

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