Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Path
Author(s): Jivraj Ghelabhai Doshi
Publisher: Jivraj Ghelabhai Doshi

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Page 189
________________ १८२ उत्तरायणं. ३६. एएसिं वमओ चेव गन्धओ रसफासयो। संठाणदेसयो वावि विहाणाई सहस्ससो ॥ ९२ ॥ सुविहा वणस्सईजीवा सुहुमा बायरा तहा । पऊत्तमपऊत्ता एवमेए दुहा पुणो ॥९३ ॥ बायरा जे उ पत्ता दुविहा ते वियाहिया । साहारणसरीरा य पत्तेगा य तहेव य ॥९४ ॥ पत्तेगसरीराओ गहा ते पकित्तिया। रुक्खा गुहा य गुम्मा य लया वल्ली तणा तहा ॥९५॥ वलया पवगा कुहणा जलरुहा ओसही तहा । हरियकाया बोद्धव्वा पत्तेया इश् आहिया ॥ ९६ ॥ साहारणसरीरायो णेगहा ते पकित्तिया । आनुए मूलए चेव सिङ्गाबेरे तहेव य ॥९७ ॥ हरिली सिरिली सस्सिरिली जावई केयकन्दली। पलएमुलसणकन्दे य कन्दली य कुमुवए' ॥ ९८ ॥ लोहिणहि य थीहू य तुहगा य तहेव य।. कण्हे य वऊकन्दे य कन्दे सूरणए तहा ॥ ९९ ॥ अस्सकली य बोधवा सीहकली तहेव य ।। मुसुएढी य हलिदा य णेगहा एवमाययो ॥१०॥ एगविहमणाणत्ता सुहुमा तत्थ वियादिया । सुहुमा सबलोगम्मि लोगदेसे य बायरा ॥ १०१ ॥ संतई पप्प नाईया अपजवसिया वि य । ग्इिं पडुच्च साईया सपजवसिया वि य ॥ १०२ ॥ १ Ch. (चा.) पत्तेगाइ वियाहिया. २ Ch. (चा.) "डुंवए. A (आ.) दु. ३ Ch. (चा.) कुहगा. ४ Ch. ( चा.) कन्दे.

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