Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Path
Author(s): Jivraj Ghelabhai Doshi
Publisher: Jivraj Ghelabhai Doshi
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- लेसज्झयण. उदहीसरिसनामाण तीसई कोमिकोमीयो। उक्कोसिया विई होइ अन्तोमुहुत्तं जहन्निया ॥१९॥ आवरणिजाण दुण्डं पि वेयणि तहेव य । अन्तराए य कम्मम्मि विई एसा वियाहिया ॥२०॥ उदहीसरिसनामाण सत्तर कोमिकोमीओ। मोहनिस्स उक्कोसा अन्तोमुहत्तं जहनिया ॥२१॥ तेत्तीससागरोवमा उक्कोसेण वियाहिया । ठिई उ आउकम्मस्स अन्तोमुहत्तं जहनिया॥२२॥ उदहीसरिसनामाण वीसई कोमिकोमीओ। नामगोत्ताणं उक्कोसा अट्ठ मुहत्ता जहन्निया ॥२३॥ सिद्धाणणन्तभागो य अणुजागा हवन्ति उ। सव्वेसु वि पएसग्गं सव्वजीवे अज्जियं ॥ २४ ॥ तम्हा एएलि कम्माणं अणुनागा वियाणिया। एएसि संवरे चेव खवणे य जए बुहो ॥२५॥
॥त्ति बेमि॥ ॥कम्मप्पयडी॥
लेसज्जयणं चतुस्त्रिंशं अध्ययनम्. लेसज्जयणं पवक्खामि अणुपुर्वि जहक्कम । छण्हं पि कम्मलेसाणं अणुनावे सुणेह मे ॥१॥ नामाइं वमरसगन्धफासपरिणामलक्खणं। ठाणं लिई गई चाचं लेसाणं तु सुणेह मे ॥२॥
१Ch. ( चा.) °च्छि° A. (आ.) सइच्छियं. २ Ch. (चा.) आ'. ३ Ch. (चा.) ठिई गई.

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