Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Path
Author(s): Jivraj Ghelabhai Doshi
Publisher: Jivraj Ghelabhai Doshi

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Page 182
________________ NAAMKARANnnnnnn - जीवाजीवविभत्ती. १७५ अजीवाण य रूवीण अन्तरेयं वियाहियं ॥१५॥ वमओ गन्धयो चेव रसओ फासयो तहा । संठाणयो य विन्नेओ परिणामो तेसि पञ्चहा ॥१६॥ वलओ परिणया जे उ पञ्चहा ते पकित्तिया । किण्हा नीला य लोहिया हलिदा सुकिला तहा ॥१७॥ गन्धओ परिणया जे उ दुविहा ते वियाहिया । सुब्भिगन्धपरिणामो' दुन्भिगन्धों तहेव य ॥ १८॥ रसओ परिणया जे उ पञ्चहा ते पकित्तिया । तित्तकमुयकसाया अम्बिला महुरा तदा ॥१९॥ फासो परिणया जे उ अट्टहा ते पकित्तिया । कक्खमा मउया चेव गरुया लहुया तहा ॥ २० ॥ सीया उण्हा य निद्धा य तहा लुक्खा य आहिया। इय फासपरिणया एए पुग्गला समुदाहिया ॥ २१ ॥ संगणओ परिणया जे उ पञ्चहा ते पकित्तिया । परिमएमला य वट्टा य तंसा चरंसमायया ॥ २२ ॥ वमयो जे नवे किण्हे नए से उगन्धओ। रसयो फासओ चेव भइए संगणओ वि य ॥२३॥ वमयो जे नवे नीले नए से उ गन्धओ। रसयो फासओ चेव नभए संठाणयो वि य ॥२४॥ वलयो जे नवे लोहिए नए स उ गन्धओं। रसयो फासओ चेव भइए संठाणयो विय ॥२५॥ वलओ जे नवे पीए भए से ज गन्धयो। १ Ch. (चा.) मा. २ Ch. (चा.) गन्धा. ३ Ch. (चा.) लोहिए जेउ भइ. ४ Ch. (चा.) पीयए जेउ भइ'.

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