Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Path
Author(s): Jivraj Ghelabhai Doshi
Publisher: Jivraj Ghelabhai Doshi
View full book text
________________
१७६
उत्तरायणं. ३६. रसओ फासयो चेव नभए संगणओ वि य ॥२६॥ वामओ जे 'भवे सुक्किले भइए से न गन्धओ। रसओ फासओ चेव जइए संठाणओ वि य ॥२७॥ गन्धओ जे नवे सुब्भी नइए से उ वप्लयो । रसयो फासओ चेव नभए संठाणयो वि य ॥२॥ गन्धओ जे नवे मुन्नी जइए से उ वमओ। रसओ फासयो चेव भइए संगणओ वि य ॥२९॥ रसयो तित्तए जे न भए से उ वल यो । गन्धओ फासो चेव नइए संगणओ वि य ॥३०॥ रसओ कमुए जे उ नइए से उ वलओ। गन्धओ फासयो चेव भइए संगणो वि य ॥३१॥ रसो कसाए जे उ जइए से उ वाम यो । गन्धयो फासयो चेव भइए संगणओ वि य॥३॥ रसओ अम्बिले जे उ भइए से उ वमओ। गन्धयो फासओ चेव नइए संठाणओ वि य ॥३३॥ रसओ महुरए जे उ जइए से उ वमओ। गन्धओ फासो चेव भइए संगणओ वि य ॥३४॥ फासओ कक्खमे जे उलइए से उ वमओ । गन्धओ रसओ चेव जइए संगण यो वि य ॥३५॥ फासओ मनए जे उ भए से उ वलओ। गन्धयो रसयो चेव भइए संठाणओ वि य ॥३६॥ फासओ गुरुए जे उ नए से उ वमो।
१cb. (चा.) सुकिले जेउ भ.

Page Navigation
1 ... 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206