Book Title: Uttaradhyayan Sutra Ek Parishilan Author(s): Sudarshanlal Jain Publisher: Sohanlal Jaindharm Pracharak SamitiPage 15
________________ प्रकाशकीम पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, वाराणसी के नाथालाल पारख शोध-छात्र डा० सुदर्शनलाल जैन का उत्तराध्ययन-सूत्र : एक परिशीलन नामक प्रस्तुत प्रबन्ध सोहनलाल जैनधर्म प्रचारक समिति द्वारा प्रकाशित पांचवां शोध-ग्रन्थ है। डा० सुदर्शनलाल जैन समिति के छठे सफल शोध छात्र हैं। इनके बाद समिति के पांच अन्य शोध-छात्रों ने अब तक सफलता प्राप्त की है। वर्तमान में सात शोध छात्र विभिन्न जैन विषयों पर पी-एच० डी० की उपाधि के लिए प्रबन्ध लिखने में संलग्न हैं। - प्रकृत प्रबन्ध में एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण जैन आगम-ग्रन्थ उत्तराध्ययन-सूत्र का सर्वाङ्गीण समीक्षात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। उत्तराध्ययन प्राकृत वाङ्मय का एक उत्कृष्ट धार्मिक काव्य-ग्रन्थ है। इसमें प्रधानतया मुनियों के आचार-विचार के साथ जैनदर्शन के मूलभूत सिद्धान्तों की चर्चा की गई है। उत्तराध्ययन-सूत्र का अनेक आचार्यों एवं विद्वानों ने अनेक रूपों में अध्ययन एवं विवेचन किया है। प्रस्तुत प्रबन्ध इस शृंखला में विशिष्ट स्थान प्राप्त करेगा, इसमें कोई सन्देह नहीं। इस ग्रन्थ के अध्ययन से उत्तराध्ययन का हार्द सरलता से समझ में आ सकेगा। समिति पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान के अध्यक्ष डा. मोहनलाल मेहता के प्रति कृतज्ञ है जिन्होंने प्रस्तुत ग्रन्थ का पर्याप्त परिश्रमपूर्वक सम्पादन किया है। यह ग्रन्थ स्वर्गीय लाला लद्दामलजी जैन की पुण्यस्मृति में प्रकाशित किया जा रहा है । समिति इस प्रकाशन से सम्बन्धित सब महानुभावों का आभार मानती है। हरजसराय जैन - मन्त्री Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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