Book Title: Uttara Purana
Author(s): Gunbhadrasuri, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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६६४
कृती-कुशल-भाग्यशाली
७११२ केवलावगम-केवलज्ञानी४८।४५ केशव-नारायण ७६ ४८७ कोपारुणितविग्रह-क्रोधसे जिस
का शरीर लाल हो रहा था । ६८० कोशातकी फल-तूमा ७११२७५ कौरव-कुरुवंशी ७२१२२७ कौमुम्म-कुसुमानी रंग--लाल रंग ७१८१ क्रमुकद्र म-मुपारीकै वृक्ष
६३१३४३ क्रमपङ्कज-चरण कमल ५८१४७ क्रमाम्बुज-चरण कमल
६८५०० क्रव्याद-मील ७५।५६० क्रोष्टा-मियार ७६७५ शान्ति-आर्यिका ७५।३३ क्षुपविशेष-एक झाड़ी ७०।१२९ क्षेम-प्राप्त वस्तुका रक्षा ६२.३५
औद्ररस-मधुका रस ७६।१०५ क्ष्माज-वृक्ष ६८।३५८
[ख] खगाधीश-विद्यधरों के राजा ६२:८१ सी-विद्याधरी ६३१८७ खरामीपु-तीक्षण किरण, सूर्य ५४२२ खलूरिका-वह स्थान जहाँ शस्त्र चलानेका अभ्यास किया जाता है ७५६४२२ स्वागता-आकाशसे आती हुई
उत्तरपुराणम् गन्धसिन्धुर-मत्त हाथी ४८०२२ गर्भिक-गर्भका बालक
७०।३४२ गलन्तिका-झारी ७१।९१ गवलोत्तम-उत्तम भैंसा ६३।१६० गहन-वन ७०।१०५ गान्धार-कान्धार ७५।१३ गायकानीक-गयों का समूह
७४.२७० गिरीश-सुमेरुपर्वत ७१.४३ गुरु-पिता ७५।५७८ गोमायु-शगाव ७६।३६८ गोमिनी-लक्ष्मी ६२।१६१ ग्रन्थ-परिग्रह ६४।१
[] घातिघाता-घातियाकोका क्षय करने वाले ६३।१२९
[च]. चक्रिन्-चक्रवर्ती और नारायण
७०।२ चक्रेट-चक्रवर्ती ६९।८७ चण्ड-अत्यन्त ऋोधी ६७।१५८ चण्डद्युति-सूर्य ५४११०२ चण्डरोचिष्-सूर्य ७३।६० चण्डविक्रम-अत्यन्त पराक्रमी ५५।३ चतुरङ्ग बल-हाथी, घोड़ा, रथ
और पदाति-पैदल सेना, इसे चतुरङ्ग सेना कहते हैं ६२०५१ चतुर्थलेश्य-चौथी पद्मलेश्थाका धारक ५४१८३ चन्द्रोपराग-चन्द्रग्रहण ६११५ चपेट-चप्पड़-चाँटा ७०।३५० चरमाङ्गधरा-तद्भवमोक्षगामी ४८।१३२ चामीकर-सुवर्ण ६१६१०६ - चामीकरच्छवि-सुवर्ण के समान कान्तिवाला ४८७३ चारणद्वन्द्व-चारण ऋविधारी दो मुनि ७५।५३१
चित्तज-काम ७४।१३८ चिताधकः-पापोंका संचय करने
वाला ५७१९८ चिपुटनासिका-चपटी नाकवाले ७६४४५
[छ] छाया-कान्ति ७०।२२५
[ज] जन्मवाराशि-संसार सागर ६२।२९३ जम्बुक-शृगाल ७६.३५६ जयध्वज-विजय पताका
७२।१५जलजानना-कमल मुखी
७६११४१ जातसंवेद-जिसे वैराग्य उत्पन्न हुवा है ४८८ जातरूप-सुवर्ण ५६।१५३ जातरूपता-दिगम्बर मुद्रा
७४।९० जामदग्न्य-जमदग्निका पुत्र
६५।१४९ जाम्बवत्विष-जामुनके समान
कान्तिवाले, काले ५१.२८ जित्वरी-जीतनेवाली ५११३४ जिघांसा-मारनेकी इच्छा
५९ २१३ जिन-तीर्थकर ७०१२ जीमूत-मेघ ५२१५ जोषम्-चुप ७५।२७ ज्वालाकरालाग्नि-ज्वालाओंसे भयंकर अग्नि ७१।१५
[२] झषकेतु सुखावहा-कामसुखको देनेवालो-स्त्री ६३।११७
[त] तनुस्थिति-शाहार ७१।४३३ तन्त्र-स्वराष्ट्र चिन्ता ६२।३४ तपस्तनूनपात्-तपरूपी अग्नि ५८ १७८
[ग] गगनगोचर-विद्याधर राजा
७०।२६७ गण्य-संख्यात ६६।५९ गतप्राण-मृत ७५६७४ गतासु-मृत ४८।१२३
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