Book Title: Uttara Purana
Author(s): Gunbhadrasuri, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 729
________________ व्यक्तिवाचक शब्दकोष ७०१ समुद्रसेन-एक मुनि ७०।१७४ ।। सम्मव-तृतीय तीर्थंकर ४९।१ सम्मिन्न-ज्योतिःपभ नगरका राजा ६२१२४१ सम्मिन-अमिततेजका सेवक एक विद्याधर ६२।२६४ सम्भूत-एक मुनि ५७१७८ सम्भूत-एक मुनि ६५ ५३ सम्भूत-एक तीर्थंकर ६६१२३ सम्भूत-एक मुनि ७४.११० सर्वकल्याणी-ज्योति:प्रभ नगर के राजा सम्भिनकी स्त्री - ६२।२४२ सर्वगुप्त-एक केवली ५९७ सर्वगुप्त-एक मुनिराज ६३०२४७ सर्वमित्र-प्रियमित्रका पुत्र ७४।२३९ सर्व गुप्त-एक केवली ६२.४९६ सर्वयशस्-तृणपिङ्गलकी स्त्री ६७४२२४ सर्वश्री-वीतशोक नगरके गजा वैजयन्तकी स्त्री ५९।११० सर्वश्री-मेषपुरके राजा धनजय की स्त्री ७१४२५३ सर्वश्री-पञ्चमकालको अन्तिम आयिका ७६१४३३ सर्वसमृद्ध-एक वैश्य ७६.१६८ सर्वात्ममत-आगामी पाँचवें तीर्थकर ७६१४७८ सर्वार्थसिद्धि-भगवान् शान्ति नायकी पालकी ६३१४७० सहदेव-पाण्डु और माद्रीका द्वितीय पुत्र ७०।११६ सहदेव-धनदेवकी दूसरी स्त्री. का पुत्र ७५।११० सहदेवी-अयोध्याके राजा बनन्त'वीर्यकी स्त्री-सनत्कुमार चक्रवर्तीकी माता ६१.१०५ सहस्रग्रीव-मेषकुटका राजा एक विद्याधर ६८८ सहस्त्रघोष-प्रशनिघोषका पुत्र .६.२।२७६ सहस्रबाहु-कौशल देशी साकेत १. सारस्वत नगरीका राजा ६५।५७. २. आदित्य सहस्ररश्मि-विजयका बड़ा पुत्र ३. वह्नि ६२।२७३ ४. अरुण सहस्रायुध-वज्रायुध और लक्ष्मी- ५. गर्दतोय । मतिका पुत्र ६३१४५ ६. तुषित सागर-एक मुनि ७१।४३५ ७. अव्यावाध और सागर-राजपुरका एक श्रावक ८. अरिष्ट। ७५।२५७ ये देव भगवान्के सिर्फ दीक्षासागर-भगवान् अजितनाथके कल्याणकमें जाते हैं ४८ ३४ समयका मुख्य प्रश्नकर्ता सार्वभौम-भगवान् मल्लिनाथ७६१५२९ का प्रमुख प्रश्नकर्ता ७६।५३२ सागरदत्त-राजपुरका एक सेठ सिद्धार्थ-कौशाम्बीके राजा ७५/५८६ पार्थिव और उनकी रानी सागरदत्त-राजगृहीका एक सेठ सुन्दरीका पुत्र ६९।४ ७६।४६ सिद्धार्थ-कुण्डपुरके राजासागरदत्त-एक केवली मुनि भगवान् महावीरके पिता ७६।१३४ ७४।२५२ सागरदत्त-सुप्रतिष्ठपुरका एक सिद्धार्थ- दशपूर्वके धारक एक सेठ ७६।२१७ मुनि ७६।५२२ सागरसेन-एक मुनि ६२१८७ सिद्धार्थनन्दन-भगवान महावीर सागरसेन-पद्मिनीखेट नगरका ७६।३९३ एक सेठ ६२।२६३ सिद्धार्था-राजा स्वयंवरकी सागरसेन-एक मुनि ७१।४०२ स्त्री-भगवान् अभिनन्दनसागरसेन-एक मुनि ७४:१७ नाथकी माता ५०१७ सागरसेन-एक जिनेन्द्र ७५१३१६ । सिंह-भयंकर पल्लीका स्वामी सागरसेन-एक मुनि ७६।२२१ एक भीलोंका राजा ७५१४८ सागरसेन-शिखिभूधर पर्वत सिंहकेतु-भोगपुरके राजा प्रभ. पर रहनेवाले एक मुनिराज जन और रानी मुबण्डूपा ७६।३२४ पुत्र-सेठ सुमुखका जीव सानुकम्प-यक्षदस और यक्ष ७०/७५ दत्ताके यक्षिल नामक पुत्र का सिंहकेतु-भगवान् महावीर स्वामी प्रचलित दूसरा नाम ७१।२८० का पूर्वभवका जीव ७६५४० सामसमृद्ध-राजगृहका एक सेठ सिंहचन्द्र-भद्रमित्रका जीव ७६१३५ रानी रामदत्ताका पुत्र हुआ सारण-यादव पक्षका एक राजा ५९।१९२ ७१।७३ सिंहचन्द्र-एक मुनि ५९.२२७ सारस्वत-लोकान्तिक देव जो सिंहचन्द्र-आगामी चा बल. संसारसे विरक्त रहते हैं, ऐसे भद्र ७६१४८६ पञ्चम स्वर्गवासी देव । इनकी सिंहनन्दिता-राजा श्रषेणकी आठ जातियां होती हैं : स्त्री ६२।३४० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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