Book Title: Upmiti Bhav Prakasha Katha Part 1 and 2
Author(s): Siddharshi Gani, Vinaysagar
Publisher: Rajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur

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Page 5
________________ अनुवाद भी प्रकाशित हुआ । हिन्दी के प्रमुख विद्वान् श्री नाथूराम प्र ेमी ने भी केवल प्रथम प्रस्ताव का हिन्दी में अनुवाद कर प्रकाशित किया । यह काम उनके देहावसान के कारण आगे नहीं बढ़ पाया । पुस्तक के २ से ८ प्रस्तावों का अनुवाद श्री लालचन्द जी जैन ने किया तथा हमारे अनुरोध को स्वीकार कर जैन साहित्य के मूर्धन्य विद्वान् महोपाध्याय श्री विनयसागर जी ने प्रथम प्रस्ताव का अनुवाद, समग्र अनुवाद का मूलानुसारी अविकल संशोधन तथा सम्पादन का वृहत्भार भी वहन कर इस कार्य को सफलता के साथ सम्पन्न किया । प्रूफ संशोधन में श्री श्रोंकारलाल जी मेनारिया ने पूर्ण सहयोग दिया । एतदर्थ तीनों संस्थायें तीनों विद्वानों की प्रभारी हैं । पुस्तक का मुद्रण कार्य अजन्ता प्रिण्टर्स एवं पॉपुलर प्रिण्टर्स, जयपुर द्वारा किया गया, जिसके लिये भी तीनों संस्थायें दोनों प्रेसों के संचालकों की आभारी हैं । श्राशीर्वचन प्रदान कर प्राचार्यप्रवर श्री हस्तिमलजी महाराज एवं आचार्य प्रवर श्री पद्मसागरसूरिजी महाराज ने तथा सिद्धहस्त लेखक मुनिपुंगव श्री देवेन्द्रमुनिजी महाराज 'शास्त्री' ने विस्तृत भूमिका लिखकर हमें कृतार्थ किया है । परम श्रद्धेय आचार्य श्री हस्तिमल जी महाराज के तो हम अत्यन्त ऋणी हैं कि जिनकी सतत् प्रेरणा से ही इसका हिन्दी अनुवाद सम्भव हो सका । यदि विषय प्रतिपादन, सैद्धान्तिक ऊहापोह आदि में कहीं मान्यता अथवा परम्परा भेद आता हो तो उससे प्रकाशक का सहमत होना आवश्यक नहीं है । हिन्दी भाषा-भाषी प्रतिविशाल समाज के कर-कमलों में इस ग्रन्थ का सर्वाङ्ग पूर्ण हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत है । आशा है, पाठकगरण इसके अध्ययन से आनन्द और ज्ञान दोनों प्राप्त करेंगे । एस. एम. बाफना मैनेजिंग ट्रस्ट्री सेठ मोतीशा रिलीजियस एण्ड चेरिटेबल ट्रस्ट भायखला - बम्बई Jain Education International देवेन्द्रराज मेहता सचिव राजस्थान प्राकृत भारती संस्थान, जयपुर For Private & Personal Use Only सज्जननाथ मोदी सुमेरसिंह बोथरा मन्त्री, संयुक्तमन्त्री सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल, जयपुर www.jainelibrary.org

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