Book Title: Tulsi Prajna 2005 04
Author(s): Shanta Jain, Jagatram Bhattacharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 33
________________ मि संदर्भ सूची1. (अ) सुखसंज्ञकमारोग्यम् -चरक सूत्र, 13. प्रज्ञापनासूत्र, मलयागिरीवृत्ति पृ. 330 अष्टांगहृदय पृ. 2 पर उद्धृत 14. महावीर का स्वास्थ्यशास्त्र पृ. 59 1. (ब) ठाणं 10, 83 15. वही, 56/57 2. भेषजं वै देवानामथर्वाणः भेषज्यायै 16. जैनदर्शन और अनेकांत, पृ. 123 वारिषयैः - ताण्डव-ब्राह्मण 16/10/10 17. महावीर का स्वास्थ्यशास्त्र पृ.72 पर उद्धत 3. इह खल्वायुर्वेदो नाम यदुपांगायर्ववेदस्य 18. ध्यान क्यों? प. 21 -सुश्रुत सूत्र स्थान 1/6/2 19. ठाणं 1/13 4. महावीर का स्वास्थ्य शास्त्र - पृ. 54 0 चरकसंहिता शरीरस्थानम 5. अष्टांग हृदय पृ. 2 कविराज अत्रिदेवगुप्त 21. अष्टांगहृदय, 1/8 6. बहुविधं मानसं वाऽति दुःखहं 22. वही, 1/19 जन्मजरामरणं ... 23. ठाणं टीका, 9/51 व्याधिबधबन्धनादिजानितं दुःखं यस्य 24. सुश्रुतसंहिता, 1/24 फलं प्राणिनां तदसवेद्यम्। -तत्त्वार्थ 25. सुश्रुतसंहिता पृ. 6 पर उद्धत राजवार्तिक 8/8/2 . 7. वही 8/9/4 26. महावीर का स्वास्थ्यशास्त्र, पृ. 56 8. तत्त्वार्थसूत्र 8/11 27. तुम स्वस्थ रह सकते हो, पृ. 3 28. अष्टांगहृदय, 1/20 9. चरकसंहिता, शरीरस्थानम् 33 10. त एते मनः शरीराधिष्ठानाः सुश्रुतसंहिता 29. वही, 1/26 30. तुम स्वस्थ रह सकते हो, पृ. 53 1/26/6 11. सुश्रुतसंहिता 1/23/6 31. वही, 60/61 12. अथर्ववेदीय कर्मज व्याधि निरोध पृ. 18 संपर्क सूत्र : जैन विश्व भारती संस्थान लाडनूं 28 - - तुलसी प्रज्ञा अंक 128 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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