Book Title: Tulsi Prajna 2004 04 Author(s): Shanta Jain, Jagatram Bhattacharya Publisher: Jain Vishva Bharati View full book textPage 4
________________ नियंत्रण और शोधन समाज का नियंत्रण हो सकता है, शोधन नहीं। शोधन व्यक्ति व्यक्ति का होता है। सत्ता से सामूहिक परिवर्तन हो सकता है, किन्तु वह केवल बाहरी आकार का होता है। उपदेश या समझाने से वैयक्तिक परिवर्तन होता है, किन्तु वह हृदय का होता है। सत्ता का आदेश होता है। उसे कोई चाहे या न चाहे, टाल नहीं सकता। धर्म का उपदेश होता है, उसे न चाहे, वह टाल सकता है। एक में विवशता है, दूसरे में हृदय की स्वतंत्रता। स्वतंत्रता के लिए उपदेश चाहिए। -अनुशास्ता आचार्य महाप्रज्ञ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 ... 110