Book Title: Tulsi Prajna 1995 07
Author(s): Parmeshwar Solanki
Publisher: Jain Vishva Bharati
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मोनुस्वार २ द्विपद ए सुत्त, मकार नौं अनुस्वार । इस पर छर्त पदांत फुनि, उदाहरण अवधार ||३९|| तम् हसति मनों हुवं तं हसति अनुस्वार । पटुम् वृथा नौ पटुं वृथा, इम पदान्त मैं धार ॥ ४० ॥ नश्चा पदान्ते इसे ४ चतुर् नकार वली मकार | वर्तमान अपदांत तसुं अनुस्वार व सार ।।४१।। यशा न् सि अपदांत न, यशांसि सिद्ध उदार । पयान् सि नौ पयांसि पुम् भ्यां पुभ्यां धार ॥ ४२ ॥ यमाय स्य वा ४ पद चतुर, अनुस्वार नौं देष । वा यम ह्वै यप पर छतै, यप नौं सवर्ण पेष ॥ ४३ ॥ त्वङ् करोषि ङ होय । तन्तनोति न जोय ॥ ४४ ॥ छतै, सय्यंता य सार । छतैं ताराघवं र धार ||४५ || छतै, रा राम्यते र होय । करि, र लोप दीर्घ सुजोय ॥ ४६ ॥ पर छर्त, यञ्जकार ज होय । यण्णकार ण जोय ॥ ४७ ॥ तन्ननीति न होय । यड्डकार ड जोय ॥४८॥
त्वं करोषि क पर छतं
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तं तनोति त पर छतै,
सं यंता य पर तं राघवं र पर रं रम्यते र पर रि लोपे दीर्घ सूत्र कार
यं णकार ण पर छतै
तं ननीति न पर थकां
यं डकार ड पर थकां सं मानयति मकार पर, सम्मानयति मकार । संपति चवर्ग पर, सञ्झपति सुञकार ||४९ ॥ तं ढोकते ट वर्ग पर तण्डौकते णकार | सं धमति तवर्ग पर सन्धमति सुनकार ॥५०॥ संघर्षति क वर्ग पर, सङघर्षति ङकार ।
सं भमति पवर्ग पर सम्भवति सुमकार ।। ५१ ।। जञ्जय्यते ञ होय । सण्डीयते ण जोय ।। ५२ ।। दन्दशयते नकार । जङ्गम्यते ङकार ॥५३॥ बं बमीति पु पर थकां बम्बमीति म होय । स खनति कुपर थकां सङ्खनति ङ जोय ॥ ५४ ॥
जं जय्यते चवर्ग पर संडीयते टवर्ग पर, दं दश्यते तु पर थकां जं गम्यते कुपर थकां
पं फलति पु पर थकां पम्फलति म सवर्ण । संछादयति चुपरः, सञ्छादयति ञ कर्णं ।। ५५ ।। कंठः टवर्ग पर थकां कण्ठः सवर्ण णकार । कंथा तवर्ग पर थक, कन्था सवर्ण नकार ॥ ५६ ॥
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तुलसी प्रज्ञा
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