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पंडित जांण सिद्धत ना, सुद्ध कर लीजो देष । करी उतावल मैं इहां, सहिज मांहि संपेष ॥४६॥ भीखू भारीमालजी, तीजे पट ऋषराय । तास प्रसाद करी रची, भाषा जयजश पाय ॥४७॥ संवत् उगणीस सही, सात फागुण मास । विद पष बीज सु सोमवार जोमनेर सुष वास ॥४८॥
॥ इति विसर्ग संधि ॥ इति श्री पंच संधि नी भाषा रूप जोड सम्पूर्णम् । संवत् १९०७ फागुण बिद २ . वार सोम जोमनेर मध्य लिषत्तं ऋष जीतमल ।
तुलसी प्रज्ञा
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