Book Title: Trushna ka Jal Diwakar Chitrakatha 030 Author(s): Madankunvar, Shreechand Surana Publisher: Diwakar Prakashan View full book textPage 3
________________ | कौशाम्बी के राजपुरोहित महापण्डित काश्यप को प्रौढ़ावस्था में पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई। नगर के संभ्रांत लोग, राजपुरोहित के घर पुत्र-जन्म की बधाई देने आने लगे। नगर-नरेश प्रसेनजित भी प्रधान सेनापति के साथ बधाई देने पधारे। बालक का मुख देखकर मुस्कराते हुए बोले HMMM पुरोहित जी, बालक MER tomy आकृति से तो बिलकुल आपके जैसा है। इसे अपने जैसा ही विद्वान् बना देना। CUDD TIMINDIAN ARRO फिट राजा प्रसेनजित ने जनसमूह के बीच घोषणा की आज खुशी के अवसर पर। हम राजपुरोहित काश्यप को सम्मानित करना चाहते हैं। महापण्डित काश्यप ने तन-मन से राज्य की सेवा की है। अतः सम्मान स्वरूप घर से राजमहल तक आने-जाने के लिये इन्हें राजकीय रजत-शिविका (चाँदी की पालकी) दी जाती है। IDE ANTOS सभी अतिथियों ने करतल ध्वनि कर हर्ष प्रकट किया। इसके पश्चात् सभी अतिथियों ने भोजन ग्रहण किया। For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org,Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 ... 38