Book Title: Tattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 03 04
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti

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Page 13
________________ w ७५ * पट्टावली * (श्री सुधर्मास्वामी जी से पूज्य गुरुदेव तक) निर्ग्रन्थ गच्छ स्वर्गवास वीर सं. १. पंचम गणधर श्री सुधर्मा स्वामी जी २. चरम केवली श्री जम्बुस्वामी जी ३. श्रुतधरों की परम्परा में सर्वप्रथम श्री प्रभवस्वामी जी ४. चौदह विद्याओं के पारगामी श्री शय्यंभव सूरि जी ५. चौदह पूर्वधारी श्री यशोभद्र सूरि जी (प्रथम) १४८ ६. श्रुतकेवली श्री सम्भूति विजय सूरि जी १५६ ७. प्रागमरचनाकार श्री भद्रबाहु सूरि जी व १७० दृष्टिवाद के अनुपम लब्धिकार श्री स्थूलिभद्र स्वामी जी २१५ विशुद्धतमचारित्रपालक आर्यश्री महागिरिजी व २४५ सम्राट् सम्प्रति प्रतिबोधक आर्यश्री सुहस्ति सूरि जी २६१ ६. कोटिकगच्छ प्रारम्भ करने वाले आर्यश्री सुस्थित-सुप्रतिबद्ध सूरि जी १८ ३७८ ४५८ कोटिकगच्छ १०. सद्गुणों के स्वामी स्थविर श्री इन्द्रदिन्न सूरि जी ११. शासनप्रभावक स्थविर श्री दिन्न सूरि जी ज्ञानसम्पन्न स्थविर श्री १३. लब्धिप्रभावक स्थविर श्री वज्रस्वामी जी १४. धर्मप्रभावक स्थविर श्री वज्रसेन सूरि जी ५२३ ५८४ ६२० . चन्द्रगच्छ १५. चन्द्रगच्छ स्थापक स्थविर श्री चन्द्रसरि जी । ६४३

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