Book Title: Tattvartha Sutra
Author(s): Umaswati, Umaswami, Kailashchandra Shastri
Publisher: Prakashchandra evam Sulochana Jain USA

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Page 11
________________ D:\VIPUL\B001.PM65 (11) तत्त्वार्थ सूत्र +++++++++++++++ अध्याय पाँच अणुव्रत सात शील सल्लेखना का वर्णन सल्लेखना और आत्मवध में अन्तर सम्यग्दर्शन के अतिचार अहिंसाणु व्रत के अतिचार सत्याणु व्रत के अतिचार अचौर्याणुव्रत के अतिचार ब्रह्मचर्याणुव्रत के अतिचार परिग्रह - परिमाणव्रत के अतिचार दिग्विरति व्रत के अतिचार देश व्रत के अतिचार अनर्थ दण्ड विरति के अतिचार सामायिक व्रत के अतिचार प्रोषधोपवास व्रत के अतिचार उपभोग परिभोग परिमाण व्रत के अतिचार अतिथि संविभाग व्रत के अतिचार सल्लेखना व्रत के अतिचार दान का लक्षण दान के फल में विशेषता अष्टम अध्याय बन्ध के कारणों का कथन बन्ध का स्वरूप बन्ध के भेद 154 155 156 156 157 158 158 159 159 159 160 160 161 161 161 162 162 163 164 165 166 167 167 प्रकृति बन्ध के आठ भेद आठों कर्मों की उत्तर प्रकृतियों की संख्या ज्ञानावरण के भेद अभव्य जीव के दो ज्ञानावरणों की सत्ता को लेकर शंका-समाधान ******+++++XXI+++++++++++ तत्त्वार्थ सूत्र +++ दर्शनावरण के भेद वेदनीय के भेद मोहनीय के भेद आयु कर्म के भेद नाम कर्म के भेद गोत्र कर्म के भेद अन्तराय कर्म के भेद कर्मों की उत्कृष्ट स्थिति का वर्णन कर्मो की जघन्य स्थिति का वर्णन अनुभव बन्ध का वर्णन अनुभव के दो प्रकार फल देने के बाद कर्म की निर्जरा निर्जरा के दो प्रकार प्रदेश बन्ध का कथन कर्मो की पुण्य प्रकृतियाँ कर्मों की पाप प्रकृतिया संवर का लक्षण संवर के कारण गुप्ति का लक्षण समिति के भेद नवम अध्याय गुप्ति और समिति में अन्तर दस धर्म सत्य धर्म और भाषा समितियों में अन्तर बारह अनुप्रेक्षाएँ परीषहों को सहने का उद्देश्य परीषों का वर्णन गुणस्थानों में परीषों का विभाग +++++++++++XXII + + + +++अध्याय 168 168 169 171 171 176 176 176 177 178 179 180 181 181 183 183 184 184 186 187 188 188 190 *******

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