Book Title: Tattvagyan Mathi
Author(s): Shrimad Rajchandra, 
Publisher: Shrimad Rajchandra Ashram

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Page 11
________________ (१) तु जे स्थिति भोगवे छे ते शा प्रमाणथी? (२) आवती काल्ना वात शा माटे आणी शकतो नथी? (३) तु जे इच्छे छे ते शा मार मळतु नथी ? (४) चित्रविचित्रतानु प्रयोजन शु छ ? १० जो तने अस्तित्व प्रमाणभूत लागतु होय भने तेना मूळतत्त्वनी आशका होय तो नीचे कहु छु - ११ सय प्राणीमा समदृष्टि - १२ किंवा कोई प्राणीने जीवित यरहित करवा नही, गजा उपरात तैनाथी काम रेवु नही १३ क्विा सत्पुरुषो जे रस्ते चाल्या ते १४ मूतत्त्वमा क्याय भेद नथी, मात्र राष्टिमा भेद छ एम गणी आशय समजी पवित्र धममा प्रवतन करजे १५ तु गम त घम मानतो होय तेनो मने पक्षपात नथी, मात्र कहवानु सात्पय वे जे राहथी मसारमळ नाश थाय त भक्ति, ते धम अने ते सदाचारने तु सेवजे १६ गमे तटला परता हो तोपण मनयी पवित्रताने विस्मरण कर्या वगर ाजनो दिवस रमणीय करजे

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