Book Title: Swasthya Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

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Page 8
________________ स्वास्थ्य अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर १४. चावल के धोवन की विधि- २५ ग्राम (२ तोला) चावल को मोटा-मोटा कूटलें, फिर पानी में धोकर आठ गुने पानी में भिगो दें, १ घन्टा पश्चात् मसल कर छान लें। १५. लेप- हरी तथा सूखी औषधियों को पीसकर उसका चूर्ण पानी, छाछ या गुलाबजल आदि में पीसकर दर्द वाली जगह पर अथवा शोथ-व्रण आदि पर लेप करना चाहिए, लेप को मोटा लगावें, फिर सूखने के बाद उतार दें। १६. भावना- दवा के चूर्ण या भस्म को खरल में डालकर दवा का रस या क्वाथ मिलाकर रबड़ी जैसा कर लें उसे भावना देना कहते हैं। १७. हिंगोड़ा- हींग को घी में भूनकर उपयोग में लेवें। याद रहे हींग जो गन्दी वस्तुओं में सड़ाकर तैयार की जाती है, वह हानिकारक हैं। और धर्म के भी विरुद्ध है, अतः जिसे हिंगोड़ा (हींगड़ा) कहते हैं, वह वृक्षों का एक प्रकार का दूध सा होता है, अर्थात् हिंगोड़ा को ही काम में लेना चाहिये। १८. यदि गोली बनाने के किसी द्रव का नाम न लिखा हो तो पानी लेना चाहिये। यदि तेल का नाम स्पष्ट न हो तो तिल का तेल काम में लेना चाहिये। यदि नमक का नाम स्पष्ट न हो तो सेंधा नमक काम में लेना चाहिये। १९. जहाँ औषधियों का तौल न लिखा हो वहाँ सब औषधियाँ समभाग में लेना चाहिये। २०. जहरीली दवाइयाँ- संखिया, मेनसिल, हरताल, वच्छनाग, गंधक, कुचिला, पारद, हिंगुल, रसकपूर, भिलाव, कनेर, आक, नीला-थोथा, टंकण तथा धातु-उपधातु सभी को शुद्ध करके काम में लेना चाहिये, यदि दवा के आगे शुद्ध न लिखा गया हो तो भी खाने की औषधियाँ को शुद्ध करके ही प्रयोग में लेना चाहिये। २१. यदि औषधि के ग्रहण करने के लिये जड़, पत्र, छाल आदि न लिखा हो तो जड़ को ग्रहण करना चाहिये। २२. यदि औषधि सेवन करने का काल न कहा गया हो तो प्रात:काल समझना चाहिये। 23. बूटियों के पर्यायवाची नाम- मुनि (अगस्ता), घोषा (देवदाली), बंध्या (बांजककोड़ा), मंदार (आक), वासा (आडूसा), अनल (चित्रक), कारवेल्वे (करेला), कारंज (करंज), बाजीभूत (घोड़े का मूत्र), पुनर्नवा (साठी), शशि (कपूर), शावर (लौंग), उशीर (खस), कुनिंब (बकोयण), पलाश (ढाक), आयली (इमली), लजालु (छुइमुई),शिखंडिका (गुंजा, चिरमी), । रील (करीर, तीक्ष्ण कंटक, निष्पत्रक, करीला, कैर, टेंटी, करु पेंचू आदि नामों से जानते हैं), अंकोल (ढेरा, अकोसर, अकोड़ा, अकोरा, आदि नाम भी हैं), ऊँटकटारा (ल्हैया, घोढ़ा, चोढ़ा, उत्कंटो, काटेचुम्बक भी कहते हैं) ,छोंकर (छोटे-छोटे कांटों वाली 521

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