Book Title: Swar Bhasha Ke Swaro Me
Author(s): Chandanmuni, Mohanlalmuni
Publisher: Pukhraj Khemraj Aacha

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Page 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रकाशकीय मनुष्य एक बुद्धिमान प्राणी है। वह अपने विवेक एवं पुरुषार्थ के बल पर जीवन का सर्वांगीण विकास कर सकता है । साहित्य और संगीत उसके विवेक को प्रेरणा एवं पुरुषार्थ को दृष्टि देते हैं इसलिए मानव जीवन में साहित्य एवं संगीत की अत्यन्त उपयोगिता है। ___ मुनि श्री चन्दनमल जी तेरापंथ शासन के महान साहित्यकार, अध्यात्मप्रिय तथा संगीत प्रेमी संत हैं । उनकी उच्चस्तरीय साहित्यिक-वाणी जब संगीत की लयों में मुखरित होती है तो श्रोता मंत्र मुग्ध से होकर झूमने लगजाते हैं। उनकी वाणी हिन्दी की भांति, गुजराती, पंजाबी, एवं देवभाषा-संस्कृत में भी अस्खलित रूप से प्रवाहित होती रहती है । __ 'स्वर्भाषा के स्वरों में' मुनि श्री की उपदेश एवं भक्ति प्रधान मर्मस्पर्शी रचनाओं का संकलन है। प्राञ्जल-मधुर-संस्कृत शब्दावलो जितनी श्रुति मधुर है, उतनी ही उत्प्रेरक भी है । मुनि श्री मोहनलालजी 'सुजान' द्वारा इसका हिन्दी अनुवाद हो जाने से उपयोगिता में चार चांद लग गये हैं। इसके प्रकाशन से अध्यात्म प्रेमी जनों को प्रसन्नता होगी, और संस्कृत विद्वानों को एक नई आनन्दप्रद आध्यात्मिक कृति प्राप्त होगी । पाठकों को इससे दुहरा लाभ होगा ऐसा विश्वास है। -पेमराज आछा ओरंगाबाद For Private And Personal Use Only

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