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गीतिका
नु नेमिनाथ भगवान को नमस्कार कर । जिन्होंने कुत्सित कामदेव को पराजित कर दिया है।
१. विशिष्ट व्यक्तियों द्वारा सन्मान्य, कृष्णवर्ण, पाप-ताप के संहर्ता, शख
चिह्न वाले, दानशील, उत्तम गुणवान श्री नेमिनाथ बावीसवें तीर्थंकर थे। २. आप समुद्रविजय के ज्येष्ठ पुत्र होने के साथ-साथ समुद्र की तरह गंभीर,
क्षमाशील, हरिवंश के शिरोमणि एवं समग्र भव दुखों के उन्मूलक थे । ३. नव भवों से पत्नी रूप में रही हुई उग्रसेन राजा की पुत्री श्री राजीमती
जो कि पतिव्रता तथा आपसे विशेष अनुरक्त थी, उसको भी आपने क्यों
ठुकरा दी? ४. कौन ऐसा व्यक्ति है जो कि नई. भव्य वेपधारिणी वल्लभा स्त्री को पाकर
विशेष भक्ति वाली पुरातन स्त्री को भी नहीं छोड़ता? ५. नेमिनाथ भगवान ने भी मुक्ति रूपी नव-वधू को प्राप्त करने में उत्साही
बन यदि राजमती को छोड़ दी तो यह क्या आश्चर्य है ? क्योंकि आप मोहराज पर विजय प्राप्त कर चुके थे । ब्रह्मचर्य के द्वारा जिनकी ओजस्विता निखर चुकी है, ऐसे महाप्रभु की कौन स्तुति नहीं करता है ? 'चन्दन मुनि' भी हाथ जोड़कर नेमिनाथ भगवान का ध्यान धरता है।
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