Book Title: Swar Bhasha Ke Swaro Me
Author(s): Chandanmuni, Mohanlalmuni
Publisher: Pukhraj Khemraj Aacha

View full book text
Previous | Next

Page 45
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ३६ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४ पार्श्वजिन - स्तुतिः ( ' म्हे छाँ लाडूमल' इति रागेण गीयते ) मोघं भ्रम मा मा, सेवय पार्श्वजिनेश्वरमेकम् । ध्रुव ॥ पार्श्व जिनेन्द्र सेवय-सेवय, प्रथितमहामहिमानम् । कमनीयं मुक्त्यङ्गनया, वामापत्यं गतमानम् ॥ १ ॥ तद्घनधात्यं कर्म निहत्या - सादितकेवलकमलम् । कराऽऽमलकवल्लोकालोकं, लोकमानमति विमलम् ॥ २ ॥ यदुपरि भृशमुल्लुण्ठतया, प्रबलीकृतसौवहन | संहाराब्दसमा जलवृष्टिः, क्षिप्ता बत ! कमठेन ॥ ३ ॥ चित्रं तदपि न कोपारोपणमभवद् यद् भ्रूभङ्ग । अहह ! तितिक्षा तदनुपमेया, चञ्चज्ज्ञानतरङ्ग े ॥ ४ ॥ तं धरणेन्द्र - शिरोधार्यं भगवन्तं स्मारं स्मारम् । चन्दनमुनिरतिहृष्टमना, लघु लभते भवजलपारम् ॥ ५ ॥ For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 43 44 45 46 47 48 49 50