________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
गीतिका
तू भगवान महावीर की प्रतिक्षण आराधना कर, उज्वल गुण रूपी हारों के स्वामी भगवान महावीर की तू आराधना कर ।
१. त्रिशला देवी की गोदी में खेलने वाले, सिंह चिह्न से शोभित होने वाले,
पाप-ताप को हरने वाले, तपाए हुए स्वर्ण के समान जिनका देदीप्यमान
शरीर है ऐसे भगवान महावीर की तू आराधना कर ! २. जिन्होंने सांसारिक परिचयों को छोड़ा, कठिन मौन व्रत को स्वीकारा, पाप
रूपी जंजीरों को तोड़ फेंका, उन भगवान महावीर की प्रतिक्षण
आराधना कर। ३. जिन्होंने देव व मनु प्यों द्वारा दिए गए अनेक प्रकार के उपसर्गों को सहन
किया है, उन समुद्र की तरह महान् गम्भीर भगवान महावीर की तू
आराधना कर । ४. प्रभो ! कण्टक के समान कुछ व्यक्ति आपसे भी विमुख रहते हैं इसमें
क्या आश्चर्य है ? क्यों कि कर के पौधे चैत्रमास में भी पत्रय क्त नहीं
बनते। ५. हे शरणागत वत्सल ! हे नाथ ! पूर्ण कृपा करके चन्दनमुनि को भव जल
का किनारा दिखलाइये ।
For Private And Personal Use Only