Book Title: Swar Bhasha Ke Swaro Me
Author(s): Chandanmuni, Mohanlalmuni
Publisher: Pukhraj Khemraj Aacha

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Page 40
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गोतिका मित्र ! तू प्रातःकाल जागृत होकर 'श्री ऋषभनाथ भगवान को नमस्कार हो', ऐसा बोल । 2 १. चौबीस तीर्थंकरों में पहले तीर्थंकर नाभिराजा के कुल में सूर्यं के समान, मिथ्यात्वमय घने जंगल को दहन करने वाले, योगियों के अन्तरंग में रमण करने वाले श्री ऋषभनाथ भगवान को नमस्कार हो, ऐसा बोल । २. 'सुकृत रूपी गंध फैलाने को पवन के समान, उत्कृष्ट ज्ञान से तीन लोक को बोध देने वाले, भक्तजनों के लिए मुक्ति-मार्ग दिखाने वाले, धर्म रूपी धन को वितरित करने वाले ऋषभनाथ भगवान को नमस्कार हो', ऐसा बोल ! ३. ' चौतीस अतिशय युक्त, पुण्डरीक गणधर द्वारा पूजनीय, अठारह दोषों से रहित, जन-जन के हित की कल्पना करने वाले श्री ऋषभनाथ भगवान को नमस्कार हो' ऐसा वोलो ! ४. शुक्ल ध्यान में निरन्तर तल्लीन रहने वाले, लोक और अलोक के भावों को देखने वाले, देव और देवेन्द्र आदि के द्वारा पूजनीय, चिन्मय (ज्ञानमय ) रूप को प्राप्त होने वाले श्री ऋषभनाथ भगवान को नमस्कार हो' ऐसा बोल ! ५. 'मित्र ! यदि तुझे विशाल भव-समुद्र को सन्ताप को हरना है, मुक्ति रूप इच्छा है तो तू ध्यानस्थ बन कर ऐसा बोल ! तरना है, जन्म और मृत्यु के महल में जाने की यदि तेरी हार्दिक भगवान ऋषभनाथ को नमस्कार हो', For Private And Personal Use Only ३१

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