Book Title: Suttagame 01
Author(s): Fulchand Maharaj
Publisher: Sutragam Prakashan Samiti

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Page 7
________________ (नं. ५) "जैनधर्मोपदेष्टा उग्रविहारी पं. मुनिश्री फूलचंद्रजी महाराज से । संपादित होकर प्रकाशित मूल आचारांग सूत्रके प्रथम श्रुतस्कंधको देखकर मुझे वहुतही हर्ष हुआ, इस संस्करणके मूलपाठ बहुत शुद्ध हैं, अपने परिश्रममें मुनिश्री बहुत सफल वने हैं।" जैन न्याय साहित्यतीर्थ तर्कमनीषी पं. मुनिश्री मिश्रीमलजी म. (मधुकर) प्रेषक धूलचंदजी महता ब्यावर (नं. ६) "सुत्तागमे (आयारे) पुस्तक पहुंच गई, यह उनकी बहुत कृपा है; उनको महाराज साहिव कोटि कोटि धन्यवाद करते हैं और अर्ज करते हैं कि और कोई पुस्तक अगर आपने छपवाई हो तो कृपा करके भेजे।" गणावच्छेदक मुनिश्री रघुवरदयालजी महाराज प्रेपक तेलूराम जैन रईसेआज़म, जालंधर-छावनी (पू. पंजाव) (नं. ७) "आचारांग सूत्र" जैसी पूर्ण बत्तीसी सूत्ररूपसे निकले, खाध्याय करनेवालोंके लिए बड़ी उच्चकोटीकी वस्तु होगी, ऐसा श्रीमुनि हीरालालजी म. ने फर्माया है।" लालभवन जयपुर ' (नं. ८) "तमारा तरफथी सुत्तागमे ए नामर्नु पवित्र आगम आचारांगजी नो प्रथम भाग मूलपाठे सम्पादक भिक्खु फूलचंदजी महाराज | सदरहु पुस्तक तमोए रवाना करेल ते अमोने गई काले मल्यो छे अने ते महाराज श्रीशामजीस्वामी ने आपेल छे, पुस्तकनी शुद्धि अने व्यवस्थित जोई महाराजश्री घणा खुशी थया छे।" शा. मोहनलाल रतनजी कच्छ मांडवी

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