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कर्तरि
कर्म और भावमें प्रयुक्त होनेवाले कुछ धातु
कर्मणि
वयू
बुच
सुव्व
हण
हम्म
उ
उज्झ भण्ण लन्स
हर
हीर
जाण् पासू
दीस
कीर नज्ज
इत्यादि विकल्पसे
आदि नित्य कृदन्त
वर्तमानकृदन्त हसन्त, हसेन्त, हसमाण, हसेमाण (पुल्लिंगके रूप बद्धमाणके समान और नपुंसकलिंगके रूप जलके समान होते हैं) स्त्रीलिंग-हसन्ती, हसन्ता, हसेन्ती, हसेंता, हसमाणी-माणा, हसेमाणी
माणा (आकारान्त कहाके समान और ईकारान्त मइ के समान)
पुल्लिंग-होन्त, हुन्त, होमाण, होअन्त, होएन्त, होअमाण, होएमाण (पुल्लिंग
___ वद्धमाणकी तरह नपुंसकलिंग जलकी तरह) स्त्रीलिंग-होन्ती, हुन्ती, होन्ता, हुन्ता, होमाणी-माणा-ई-अई-एई-अन्ती
___ अन्ता-एन्ती-एन्ता-अमाणी-एमाणी-अमाणा-एमाणा (आकारान्त
__कहाकी भांति और ईकारान्त मइकी भांति) धातुके कर्मणि अंगको ये ही प्रत्यय लगानेसे कर्मणि वर्तमान कृदन्त होता है।
विध्यर्थ कृदन्त धातुके अंगको तव्व-यव्व-अणीअ और अणिज्ज प्रत्यय लगानेसे विध्यर्थ कर्मणि कृदन्त होता है, यदि 'तव्च' और 'यव्व' प्रत्यय लगाते समय पूर्वमें 'अ' हो तो उसे 'इ' अथवा 'ए' होता है, जैसे-झाइतव्वं-झाएतव्वं-झाइयव्वं-झाएयव्वंशाअणीअं-झाअणिजं इत्यादि ।