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___ 'दो' से 'अट्ठारह' तकके रूप बहुवचनमें प्रयुक्त होते हैं और तीनों लिंगोंमें समान रहते है । 'अट्ठारह' तकके संख्यावाचक शब्दोंके छट्ठीके बहुवचनमें यह और 'हं' प्रत्यय लगता है।
___ दु-दो-वे प० बी०-दुवे, दोग्गि, दुण्णि, वेण्णि, विण्णि, दो, वे त०-दोहि-हिं-हिं, वेहि-हि-हिँ च० छ०-दोण्ह, दोण्हं, दुण्ह, दुण्हं, वेण्ह, वेण्हं, विण्ह, विण्हं पं०-दुत्तो, दोओ-उ-हिंतो-संतो, वित्तो, वेओ-उ-हिंतो-सुंतो स०-दोसु-सुं, वेसु-सुं
प० बी-तिण्णि च००-तिग्रह, तिण्हं शेष रूप 'मुणि' शब्दके बहुवचनानुसार जानें ।
चउ प० बी०-चत्तारो, चउरो, चत्तारि त०-चउहि-हिं-हिं, चऊहि-हिं-हिँ च० छ०-चउण्ह, चउण्हं शेष 'साहु' के बहुवचनानुसार जानें।
पंच
प० बी०-पंच त०-पंचहि-हिं-हिं च० छ०-पंचण्ह, पंचण्हं शेष 'वद्धमाण' के बहुवचनानुसार ।
क्रियापद जैसे संस्कृतमें दश गण और उनमे परस्मैपदी, आत्मनेपदी, उभयपदी धातु और उनके भिन्न २ प्रत्यय होते हैं, वैसे अर्धमागधीमें नही । अर्धमागधीमे वर्तमानकाल, भूतकाल (ह्यस्तन परोक्ष. अद्यतन भूतके स्थानमें) आज्ञार्थ, विध्यर्थ, भविष्यकाल (श्वस्तन भविष्य और सामान्य भविष्यके स्थानमें) और क्रियातिपत्यर्थ इतने कालोंका प्रयोग होता है।