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ऋकारान्त पुल्लिंग पियर-पिउ (पित)
| पियओ, पियवो, पियउ, पिऊ, पियरा, पिउणो पियरे, पियरा, पिउणो, पिऊ
प-पिया, पियरो
बि०-पियरं
तृतीयासे सप्तमी तक 'साहु' शब्दके समान जाने । 'पियर' के रूप 'वद्धमाण' के समान होते हैं।
विशेष-छठी विभक्तिके एकवचनमें 'पिउए' भी होता है। सं०-हे पिय! पियर, पियरो (प्रथमाके अनुसार)
(नोट) पितृ आदि शब्द विशेष्यवाची हैं, विशेष्यवाचक शब्दके अन्त्य 'ऋ' के स्थानमें 'उ' और 'अर' होता है, जैसे-पितृ-पिउ, पियर; जामातृ जामाउ, जामायर । दातृ आदि शब्द विशेषण-वाचक हैं, इनके स्थानमें 'उ' और 'आर' होता है, जैसे-दातृ-दाउ, दायार; कर्तृ कत्तु, कत्तार ।
व्यंजनान्तनाम
(१) जिन नामोंके अंतमें मत्-वत् और अत् हो उनके अंतके अत्के स्थानमें अन्तका प्रयोग होता है और उनके रूप अकारान्त 'वद्धमाण' के समान चलते हैं। जैसे-भगवत्-भगवंत; भवत्-भवंत; धीमत् धीमंत । भगवत् शब्दका प्रथमाका एकवचन 'भगवं' होता है जो कि शौरसेनीके समान है।
(२) जिन नामोके अन्तमें 'अन्' है उन नामोंके अन्तके 'अन्' को 'आण' विकल्पसे होता है और उसके रूप अकारान्त पुल्लिंगके समान होते हैं । यथाराजन्-रायाण, राय; आत्मन् अप्पाण, अप्प ।
'अन्' अंत वाले शब्दोंके और भी रूप होते हैं जो नीचे दिए जाते हैं।