Book Title: Stotravali Author(s): Yashovijay Publisher: Yashobharati Jain Prakashan Samiti View full book textPage 8
________________ . पूज्य उपाध्याय श्रीयशोविजयजी महाराज की रचनाएँ क्रमशः प्राकृत, संस्कृत, गुजराती, हिन्दी और मिश्र भाषा में हैं। वे संस्कृत- भाषा के एक महान् कवि एवं टीकाकार थे। उनकी रचना-शैली शास्त्रनिष्ठ एवं सारगभित है अतः उनका आनन्द सर्वसाधारण को प्राप्त हो, इस बात को लक्ष्य में रखकर संस्था ने प्रारम्भ से ही गुजराती और हिन्दी में अनुवाद करवाकर ग्रन्थ-प्रकाशन को प्राथमिकता दी है। इससे हमारा गुजराती समाज एवं संस्कृत का दर्शनशास्त्राभ्यासी वर्ग तो उनके महनीय साहित्य से परिचित होता रहा है किन्तु 'कवित्वपूर्ण रचनाओं के रूप में हिन्दीभाषी रसिक साहित्यिक वर्ग भी उनकी कृतियों से अनभिज्ञ न रहे, यह पवित्र भावना मन में रख कर उनके द्वारा प्रणीत भक्तिस्तोत्रों को हिन्दी भाषा में अनुदित करवाकर सर्वप्रथम 'स्तोत्रावली' के रूप में प्रकाशित करते हुए हमें पर्याप्त प्रानन्द का अनुभव हो रहा है। इस ग्रन्थ की सम्पूर्ण संयोजना एवं प्रधानतया सम्पादन-कार्य साहित्य-कलारत्न परमपूज्य श्रीयशोविजयजी महाराज की ही देन है। परमपूज्य श्रीमद् यशोविजयजी महाराज के प्रति अनन्य भक्ति एवं उनके साहित्य को सर्वांश रूप से परिपूर्ण करके चिर-स्थिर रूप देने की अदम्य निष्ठा से ही अनेक दुर्लभ ग्रन्थों का संग्रह, प्रतिलिपिकरण, सम्पादन, अनुवाद तथा प्रकाशनकार्य सुसम्पन्न हो रहा है। अतः हम विद्वत्-प्रवर मुनिराज श्रीयशोविजयजी महाराज के अत्यन्त : ऋणी हैं और अन्तःकरण पूर्वक आभार स्वीकार करते हैं। . प्रस्तुत 'स्तोत्रावली' में 'वीरस्तव' को छोड़कर शेष स्तोत्रों के अनुवाद की प्रेसकॉपी अन्तिम निरीक्षण के लिये पण्डित श्री नरेन्द्रचन्द्र जी को दी गई थी। तदनन्तर मुद्रण के लिये डॉ० रुद्रदेवजी त्रिपाठी को भेजी गई तब पूज्य मुनिराज श्रीयशोविजयजी महाराज ने त्रिपाठीPage Navigation
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