Book Title: Sramana 2011 04
Author(s): Sundarshanlal Jain, Shreeprakash Pandey
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi
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४० : श्रमण, वर्ष ६२, अंक २ / अप्रैल-जून-२०११
४. तस्स णं विजयखत्तियस्य पुत्ते मियाए देवीए अत्तए मियापुत्ते णामं दारए होत्था,
जाइअंधे, जाइमूके, जाइबहिरे, जाइपंगुले य, हुंडे य वायव्वे य, णत्थि णं तस्स दारगस्य हत्था वा पावावा कण्णा वा अच्छी वा णासा ण केवलं से तेसिं अंगो
वगाणं आगिई आगिइमेत्ते। वही, अध्ययन-१, सूत्र-४ । ५. (क) तए णं से एक्काई रट्ठकूडे विजयवद्धमाणस्स खेडस्स पंच गामसयाई
बहूहिं करेहि य भरेहि य विद्धीहि य उक्काडहि य लंछपोसेहि आलीवणेही य पंथकोट्टेहि य ओवीलेमाणे ओवीलेमाणे ओवीलेमाणे, विहम्मेमाणे विहम्मेमाणे, तज्जेमाणे तज्जेमाणे, तालेमाणे तालेमाणे, निद्धणं करेमाणे २ विहरइ। वही, प्रथमश्रुतस्कन्ध, अध्ययन-१, सूत्र-१५
(ख) वही, १/१६ ६. (क) तए णं से धण्णंतरी वेज्जे.....आउराण य अप्पेगइयाणं मच्छमंसाइं
उपदेसेइ। अप्पेगइयाणं कच्छभमंसाइं,अप्पेगइयाणं गोहामंसाइं, अप्पेगइयाणं मगरमंसाइं..... अणेसि च बहूणं जलयरथल यरखहयर माईणं मंसाइं उपदेसेइ, अप्पणावि य णं से धण्णंतरी वेज्जे ते हिं बहूहि मच्छमंसेहि..... तलिएहि य भज्जिएहि य। वही ७/१५
(ख) वही, ७/३ ७. अप्पणावि य णं से सोरियदत्ते बहुहिं सोहमच्छेहिं य जाव पडागाइपडागेहि य
तलिएहि य भाज्जिएहि य सोल्लिएहि य सुरं च आसाएमाणे ४ विहरइ।
वही, ८/५ ८. तए णं तस्म सोरियदत्तस्स मच्छंघस्स अण्णया कयाइं ते गच्छे तलिए भाज्जिए
सोल्लिए य आहारेमाणस्स मच्छकंटए गलए लग्गे यावि होत्था। तए णं से सोरियदत्ते मच्छंधे महयाए वेणयाए.....। वही, ८/६ ९. तए णं सा पुढवीसिरी गणिया इंदपुरे णयरे बहवे राईसरजावप्प मियओ बहुहिं चुण्णप्पओगेहि य जाव अभियोगित्ता उरालाई माणुस्सगाई भोगभागाई भुंजमाणी विहरइ। वही, १०/३ तए णं स अंजूदेवी ताए वेयणाए (जोणीसूले) अभिभूया समाणी सुक्का भुक्खा णिम्मंसा कट्ठाई कलुणाई वीसराई विलवइ। एवं खलु गोयमा!
अंजूदेवी पुरा जाव विहरइ। वही, १०/४ १०. वही, पृ० ६०३ ११. सोफिल्लं सुयमुहं सूयपायं सडिहत्थंगुलियं सडियपायंगलियं
सडियकण्णणासियं रसियाए य पूयेण य थिविथिति। वणमुहकिमिउण्णयंतपगलंतपूयरुहिरं लालामुहं पगलंतकण्णणासं अभिक्खणं २ पूयकवले य रुहिरकवले य किमिकवले य वममाणं; अग्गिए, जोणिशूले। वही, ७/२

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