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साहित्य-सत्कार : १०३
जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास
लेखक - डॉ० शिव प्रसाद, प्रकाशक- आ० ॐकारसूरि ज्ञान मन्दिर, सुभाष 'चौक, गोपीपुरा, सूरत, दो खण्डों में उपलब्ध, संस्करण- प्रथम, समग्र मूल्य- रु० २००/ पृ० १३६५।
श्वेताम्बर श्रमण संघ विभिन्न कारणों से समय-समय पर विभिन्न गच्छों में विभाजित होता रहा है। उनमें से अनेक गच्छों का नामकरण विभिन्न नगर, ग्राम, घटना- विशेष, तप - विशेष आदि के आधार पर हुआ है। प्रस्तुत ग्रन्थ में विद्वान् लेखक ने उन्हीं गच्छों का चार अध्यायों में विवेचन किया है। लेखक का कहना है कि वर्तमान में खरतरगच्छ, अचलगच्छ, तपागच्छ और पार्श्वचन्द्रगच्छ को छोड़कर अन्य सभी गच्छ नाम शेष हो चुके हैं। इनमें से प्रथम तीन गच्छों पर स्वतंत्र पुस्तकों की रचना की जा चुकी है जिनमें से अचलगच्छ एवं तपागच्छ पर लेखक ने स्वयं रचना की है। अतः प्रस्तुत पुस्तक में उनका विस्तृत विवेचन नहीं किया गया है। शेष अन्य गच्छ जो लुप्तप्राय हो चुके हैं या जो कभी अस्तित्व में रहे उनका ऐतिहासिक दृष्टि से प्रामाणिक विवेचन लेखक ने अपने इस ग्रन्थ में किया है। चूँकि विषय-वस्तु अत्यन्त ही व्यापक है तथापि लेखक ने अथक प्रयास के द्वारा सम्पूर्ण गच्छों के इतिहास को दो खण्डों में प्रस्तुत किया है। हमें कुल ३८ गच्छों का विवरण प्राप्त होता है जिनमें से ११ गच्छ गच्छों की शाखा के रूप में हैं, इस प्रकार कुल २७ गच्छ प्राप्त होते हैं। इस ग्रन्थ में इन सब गच्छों का संक्षिप्त इतिहास प्रस्तुत किया गया है। इसके पूर्व इस सदृश कोई प्रयास दृष्टिगोचर नहीं होता है ।
प्रस्तुत ग्रन्थ के प्रथम खण्ड में प्रथम तीन अध्याय एवं चौथे अध्याय का कुछ हिस्सा है। प्रथम तीन अध्यायों में गच्छों के इतिहास के मूल स्रोत, श्वेताम्बर श्रमण संघ का प्रारम्भिक स्वरूप तथा गच्छों का सामान्य परिचय दिया गया है। चौथे अध्याय में श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास प्रस्तुत किया गया है जिसमें से १५ गच्छों का संक्षिप्त इतिहास प्रथम खण्ड में दिया गया है एवं शेष गच्छों का संक्षिप्त इतिहास द्वितीय खण्ड में दिया गया है। वस्तुतः यह ग्रन्थ श्वेताम्बर गच्छों के इतिहास को जाने के लिए बहुत ही उपयोगी है । लेखक जो पार्श्वनाथ विद्यापीठ में प्रवक्ता रह चुके हैं, गच्छों के इतिहास लेखन का प्रारम्भ पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी में किया था। यद्यपि यह ग्रन्थ दो खण्डों / भागों में विभक्त है तथापि दोनों भागों की विषयसूची प्रथम भाग में ही दी गई है जो अगले भाग में भी कार्य करती है ।
डॉ० राहुल कुमार सिंह