Book Title: Siri Bhuvalay Part 01
Author(s): Swarna Jyoti
Publisher: Pustak Shakti Prakashan
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-सिरि भूवलय
॥१४०॥
बरे नव एळु मूरोम्बत् बरे ओमदु नाल्नव मूरेन्टु बरे ओम्बत्तुगळनयदु सल बरुवुदेम्भत्नाल्कु ला अरि पूर्वान्गद बिडि पळ अरि वर्ष बिडियन्क एगळ सर अभिनन्दन पूर्वे वरुषादि एरडेन्ट्ओ म्बत्तु वर पूर्वगळ मुन्दे अन्ग वरुषवेम्भत्नाल्कु लक्स सरियाद् ओम्बत्तुगळ् ऐदु वरुषगळेम्भत्नाल् लम सिरियोमदु ऊनवादक इरुव सिम्हगळ्आयुविनितु सिरियु पश्चादानु पूर्वी बरुवन्क सिम्हलान्छनवु
॥१३८॥ सरि मूरु एन्टुगळन्क ॥१४१।। वरुषगळन्कवष्टिहुदु ॥१४४॥ इरे इन्तु पूर्वान्ग दन्क ॥१४७॥ दिरविनोळोदून वरुष ॥१५०।। बरे आद्यन्तवेम्बत्तुमूर ॥१५३।। गुरु सोन्ने एन्टोम्बत्तु नवव ॥१५६।। बरुव पूर्वेगळ् ओम्बत्ऐदु ॥१५९॥ बरे तोम्बत् ओम्बत्मरेन्टु ॥१६२।। , बरलादुदेम्भत्नाल्ला । ॥१६५॥ दिरविगे हदिनाल्कु ऊन । ॥१६८॥ वर अन्गवेम्भत्नाल् लम ॥१७१।। दिरविनोळून हन्एरडु ॥१७४॥ वरुषवेम्भत्नाल्कु लम ॥१७७॥ भरत खन्डद सिम्हदायु ॥१८०।। इरुवष्ट महापातिहार्य ॥१८३।। गुरु वीरनाथ भूवलय
वर सिम्हदुपदेशवेरडु
॥१३९॥ बरि अन्गविन्इतागे बरुव ॥१४२॥ गुरु पद्मप्रभर पूर्वेगळ ॥१४५|| मुरेन्टु मूरोम्बत्तु मूरेन्टु ॥१४८॥ वर सुमति वन वयपूर्व ॥१५१॥ सरिमध्ये नव नव नवव ॥१५४॥ अरि मत्ते नव मूरु एन्टम् ॥१५७॥ अरि अन्ग नाल्नव मूरु एन्टु ॥१६०॥ वर शम्भव नववयदु ॥१६३॥ दिरविनोळ् ऐदन्क ऊन ॥१६६॥ एरडने अजितर पूर्व । ॥१६९॥ दरविनोळेरडन्क ऊन । ॥१७२॥ पुरुदेव पूर्व लक्षगळ्गे ॥१७५॥ दिरविनोळ साविर ऊन ॥१७८॥ भरतद सिम्हगळायु ॥१८१॥ दिरविनोळ् पडिहार मूरु ॥१८४॥ गुरु मुनिसुव्रत नमिय ॥१८६।। परम्परे सिम्ह भूवलय
॥१४३॥ ||१४६॥ ॥१४९।। ॥१५२॥ ॥१५५।। ॥१५८॥ ||१६१॥ ॥१६४॥ ।।१६७॥ ।।१७०॥ ॥१७३॥ ॥१७६॥ ॥१७९।। ।।१८२॥ ॥१८५॥ ॥१८७॥
(पश्चादानु पूविय महावीरर वाहन सिम्ह मत्तु सिम्हासनवेम्ब मूरने प्रातिहार्यद सिम्हद जीवित वरुष (हत्तु) १०,) (पार्श्वनाथर ३ने प्रातिहार्यद सिम्हद आयु वरुष ६९ तिंगळु ८. हीगेये मुन्दे लेक्क तेगेयबेकु.) वासव निर्मित समवसरण बाळ्व । लेसिन कालदन्कगळम् ॥ आ* सरेयष्टिह भरत खन्डद सिम्ह । दाशेय प्रातिहाऱ्यान्क सम नाल्कु पादगळादरु एन्टिह । क्रम सिम्हव कायवकव चा* ॥ विमल ज्ञानद वृषभादि तीर्थकया। रमल यक्षियर रक्षितवु
।।१८८।। ॥१८९।।
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