Book Title: Siri Bhuvalay Part 01
Author(s): Swarna Jyoti
Publisher: Pustak Shakti Prakashan

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Page 444
________________ सिरि भूवलय वर्गित संवर्गित (raising a number to its own power) क्रमानुसार अनंत संख्याओं को प्राप्त किया जा सकता है। अ कहे जाने वाले प्रथम वर्गित संवर्गित = अ कहे जाने वाले दुसरे वर्गित संवर्गित = (अ अ कहे जाने वाले तीसरे वर्गित संवर्गित = २५६ दो के लिए तीसरे का वर्गित-संवर्गित, कहे जाने वाले असंख्यात बनेगा। कुमुदेन्दु ने इसी वर्ग भंद रीति में अंकाक्षर राशी को पृथक कर, ५४ अक्षरों के अनुलोम-प्रतिलोम संख्या को इस प्रकार सूचित किया-(सिरि भूवलय २.९.१७) प्रतिलोम (८५-अंक) १८८ १९८३ ९५६ २३२ ७६२ ५९५ ३९१८ ७३४ १२९७० ४५८४ ५२८०७३६ ८४७८३५ ४९३ ९३१ ५२९ ९०० ९४८ ६९२ ६६४ ३२ ००००००,००,००,०००। इसका संयुक्तांक ३६०९ = १८ =९ अनुलोम (७१ अंक) ४०२४७९९८०८३१६ १०४३८३ ५७१ ५३२ ६२१ ०६४ २४९९ १६५७ ६ . ५८५ २०४ ११७ ४८६ ८५५ ७८२ ४००० ००० ००० ००० -441

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