Book Title: Shwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 441
________________ ३८२) श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१ ARNERSHARMicke मूलनायक श्री मुछवाले महावीर स्वामी मूलनायक श्री मुछवाले महावीर स्वामी श्री मुछवाले महावीर स्वामी मूलनायक का २२ जिनालय सं. ६०० साल के पहले के हैं। श्री मुछवाले महावीर स्वामी की मूर्ति २५०० साल पहले के जीवित स्वामी है । भगवान की हैयाति के समय भराई गई है । पहले मात्र एक छोटा सा देरासर था । जो गर्भ गृह है । वह १५०० साल पहले का है । बाकी के सब विशाल जगा ६०० साल पहले की है । पर्वत की तलहटी में है। यहाँ से जंगल शुरु होता है । वातावरण शांत है। सं. २०२२ में शिखर और ध्वजा का प्रतिष्ठापन हुआ । यहाँ का वहीवट घाणेराव से होता है | बड़ी धर्मशाला और भोजनशाला है। मुछवाले महावीर की भमति में श्री विजय देव सू. म. की चरण पादुका है । जहाँ वि. स. १७१७ महा सुद १३ का लेख है । भमति में प्रभुजी की २१ देरीयाँ है । सं. २०२२ में वैशाख सुद ८ (अष्टमी) के दिन प्रतिष्ठा संपन्न हुई है । भमति में एक प्रतिमाजी पर सं. १२४५ का लेख है । प्रभुजी की दूसरी मूर्ति में सं. १७८६ का लेख है । एक आरस का वीश स्थानक और सिद्धचक्र है । भमति के दूसरे कोने में पादूका में सं. १७९४ माघ सुद १३ का लेख है। भमति में अंतिम श्री महावीर भगवान की ४ फूट की बड़ी प्रतिमा के नीचे सं. १९०३ का लेख है । शांतिसागर सूरिजी के वरद् हस्तों से अंजनविधि अमदावाद में हुई थी । परिकर प्राचीन है। श्री गौतम स्वामी की छबी सं. १९९२ में स्थापित की थी । बादमें श्री हिरविजय सू. म. के परिवार के श्री अनुयोगाचार्य श्री हितविजयजी की मूर्ति सं. २०२४ की है। यह स्थल राणकपुर से २२ कि.मी. और नाडलाई से १६ कि.मी. के अंतर पर है। _केशर की कटोरी बाल देखने के बाद महाराणा ने पूजारी जीसे पूछा क्या भगवान को मुछे हैं ? पूजारीजीने हसते हसते हा कह दी और कहा की भगवान समय समय पर अनुठा रूप धारण करते है । महाराणा ने यह मुछवाले महावीर भगवान के दर्शन कराने को कहा पूजारी संकट मे आ पड़ा तीन दिन तक अनन्य भक्ति की प्रभुजी को मुछे देखने में आई राणाजीने दर्शन किये मुळे रह गई उस समय से यह मुछवाले महावीर के नाम से प्रसिद्ध है। HONKANSHAIR PAIN प्यारा छो प्राण थकी वहाला जिणंदजी, जुओ छो शेनी वाट रे; वीर मारा पार उतारजो, मोक्षगामी भवथी उगारजो, प्यारा. अज्ञान दशामां बहु पाप कीधा छे, कहुं शुं मारी वात रे.१ झांझवाना वीर जल सरखा सुखोना मोहमां, आखर बन्यो बेहाल रे. वीर.२ रागी द्वेषी मारा झेरी जीवनमां, नेत्र अंजन अमी छांटरे. वीर. ३ वासनाना तत्त्वो बूरा मुंझवे छे अमने, काढो ए कर्मना काट रे. वीर. ४ डगले पगले प्रभु आपने संभालं, अंतरना जाय उचाट रे. वीर. ५ पतितपावन मारा जीवन उद्धारक, हैयामां वसजो नाथ रे. वीर. ६ दर्शन पूजन तारां भावे करीने, जावे सुयश मुक्तिघाट रे. वीर.७ ys usuys RASHA

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