Book Title: Shwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 511
________________ ४५२) - - - - - - मंदिर में पूनिआ बाबा नाम की अधिष्ठायक देव की मूर्ति है जो प्राचीन है । चामुंडा देवी को आचार्य श्री ने प्रतिबोध करके सम्यकत्वी बनाई थी | और उन्हें सच्चाई माताजी का नाम देकर अलंकृत किया है । उनकी दैवी शक्ति से बालु और गायके दूध से भगवान श्री महावीर की प्रतिमा बनी है । और उसे मूलनायक के स्थान पर आचार्यश्री ने स्थापित की है । शिल्प और स्थापत्य की दृष्टि से यह मंदिर जगप्रसिद्ध है। मंदिर के शिल्प और स्थंभ भी कलामय है। भगवान नेमनाथ चरित्र, भगवान महावीर अभिषेक गर्भहरण व्याख्यान सभा आदि सब कलात्मक है । यहाँ कार्तिक मास श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग- - - - - - - की सुद ३ के दिन मेला लगता है। यहाँ से १ कि.मी. दूर दादावाडी है | आचार्य श्री रत्नप्रभ सू. म. की चरण पादूका भी है । सच्चाई माता का मंदिर १ कि.मी. के अंतर पर है । नगर की जनसंख्या १० से १२ हजार की है। जैनो के घर नहीं है । धर्मशाला और भोजनशाला है ओसिया स्टेशन जोधपुर जेसलमेर रेल्वे लाइन पर है । स्टेशन से मंदिर १ कि.मी. के अंतर पर है । पेढी के कार्यकर स्टेशन पर यात्रियों की तलाश में आते है । जोधपुर ६५ कि.मी. और फलोधि भी ६५ कि.मी. के अंतर पर है। YRKKAKKAKKAKKAKKAREKKKKKAKKAKKAKKKKAKKAKKKAKKAKKAKKKAKKARY २. जोधपुर E-E- - - - -- मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी । १. यहाँ शिखरबंध श्री पार्श्वनाथजी का देरासर है । नीचली मंझिल पर श्री कुंथुनाथजी आदि है । यहाँ देरासरकी निकटमें विशाल धर्मशाला है । इसके अलावा जोधपुर गाँवमें और भी मंदिर है । और यह सब ४००-५०० साल पुराने है शहरकी आबादी करीब ६ लाख की है । मुम्बई के एक परा समान लगता है। राजस्थान में जयपुर से दूसरा नंबर का शहर है। २. श्री शांतिनाथजी का पूराना देरासर है। शांतिनाथजी की मूर्ति सं. १७१५ की है । इसके साथ गुंदीके महोल्ले में और भी ४-५ मंदिर है। ३. राव श्री जोधाजीने इ.स. १४५९, १२ वीं मई के दिन जोधपुर शहर बसाया था । उसी समयमें कोलरी महोल्लाका चिंतामणि पार्श्वनाथजी का देरासर बना था । यह मूर्ति यहाँ सो सालसे प्रतिष्ठित है कुमारपाल के समय की यह मूर्ति है । दाहिने और बाँये बडे सहस्रफणा पार्श्वनाथजी है । पहले यह मूर्ति मूलनायक की थी यह जेसलमेर के पटवाका काँच का मंदिर था जीसकी देखभाल उनके प्रपौत्र आदि रखते है । इसके पर शांतिनाथजी की मूर्ति स्फटिक की है । हस्तलिखित ज्ञानभंडार बहूत बड़ा है। ४. श्री सुपार्श्वनाथजी का देरासर सरदारपुरा रोड पर १० साल पहले बना है। श्री सुपार्श्वनाथजी, श्री ऋषभदेवजी के गभगृहसे नीकली है | यह भगवानकी दाहिने और है । जहाँ एक १५१६ का लेख है । यह देरसरजी की प्रतिष्ठा सं. २०२९ में संपन्न हुई थी मूलनायककी बांये और गर्भगृहमें से बाहर निकलते श्री अरिहंत की मूर्तिके नीचे सं. १७२३ का लेख है । मूलनायक श्री सुपार्श्वनाथजी की प्रतिमाजी भव्य और दर्शनीय है। - - - - मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी -ER-ER-E- -6 E-CRECENEEEEEEEEEEEEEEEEEENA

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